टांगा के ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग को लेकर किया प्रदर्शन
राहत शिविर में रह रहे आपदा प्रभावित लोगों ने प्रदर्शन कर विस्थापन की मांग उठाई।
संवाद सूत्र, मदकोट ( पिथौरागढ़) : आपदा पीड़ितों के साथ एक बार फिर पुरानी प्रक्रिया दोहराई जा रही है। विगत चार माह से राहत शिविर में रह रहे आपदा पीड़ितों को अब राशन मिलना बंद हो गया है। उनके रहने के लिए अभी तक व्यवस्था नहीं होने से पीड़ितों के सम्मुख आसन्न संकट पैदा हो गया है। सेरा राहत शिविर में रह रहे टांगा के ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
तहसील बंगापानी के टांगा गांव में 19 जुलाई की रात को भारी बारिश से आपदा आई थी। गांव में मकान मलबे में दब जाने से ग्यारह लोगों की मौत हो गई थी। पूरा गांव खतरे में आ गया था। गांव के समस्त ग्रामीणों को सेरा स्थित आपदा राहत शिविर में रखा गया था। जहां पर राशन की व्यवस्था शासन द्वारा की जा रही थी। इधर अब राशन की व्यवस्था बंद कर दी गई है। दूसरी तरफ प्रभावितों के विस्थापन की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इस स्थिति में पीड़ित परेशान हैं।
शनिवार को राहत शिविर में रह रहे प्रभावितों ने प्रदर्शन किया। इस मौके पर प्रभावितों का कहना था कि चार माह बीत चुके हैं। अब सर्दी का मौसम आ चुका है। शासन प्रशासन ने अभी तक विस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं की है। उनका गांव रहने योग्य नहीं है। ऊपर से मिल रहा राशन भी अब बंद हो चुका है। पीड़ित जाएं तो कहां जाए। इस मौके पर तत्काल विस्थापन की मांग की गई। प्रदर्शन करने वालों में सुंदर सिंह, हरीश सिंह, विक्रम सिंह, डिगर सिंह धामी, भगत सिंह, खीला देवी, जानकी देवी, जयंती देवी सहित अन्य समस्त आपदा पीड़ित शामिल रहे। =========== बरम और सेरा आपदा राहत केंद्र बंद करने पर पंचायत प्रतिनिधि भड़के संवाद सूत्र , मुनस्यारी : आपदा पीड़ितों की विस्थापन की व्यवस्था किए बिना तहसील बंगापानी के बरम और सेरा राहत केंद्र बंद किए जाने से पंचायत प्रतिनिधि भड़क गए हैं। सरकार के इस फैसले को आपदा पीड़ितों के साथ अन्याय बताते हुए पंचायत प्रतिनिधियों ने 19 नवंबर से आपदा न्याय यात्रा निकालने का निर्णय लिया गया।
बरम और सेरा आपदा राहत केंद्र बंद करने के आदेश जारी होते ही पंचायत प्रतिनिधियों सहित आपदा पीडितों में रोष फैल गया है।त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के अध्यक्ष जगत मर्तोलिया ने कहा कि आपदा के चार माह बीतने के बाद भी सरकार ने पीड़ितों के विस्थापन की स्थाई तो दूर अस्थाई व्यवस्था तक नहीं की है। आपदा में अपना आशियाना गंवा चुके आपदा प्रभावितों को बिना छत के खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि बरम आपदा पीडितों से मिलने आए सीएम ने नुकसान से दस पैसा अधिक देने का वादा किया था । दो माह पूर्व अपने वादे को सीएम भुल चुके हैं। मुख्यमंत्री को अपना वायदा याद दिलाने के लिए पंचायत प्रतिनिधि आपदा पीड़ितों के साथ 19 नवंबर से आपदा न्याय यात्रा निकालेगी। जगत मर्तोलिया ने कहा कि सीएम द्वारा आपदा पीड़ितों को वन भूमि में विस्थापित करने के लिए शासनादेश लाने का भरोसा दिलाया था। चार माह में भी इस तरह का शासनादेश जारी नहीं कर प्रदेश सरकार ने आपदा पीड़ितों के साथ अन्याय किया है।