हाईवे से जुड़ा होने के बाद भी खुद को संक्रमण से मुक्त रखे है सेरा गांव के ग्रामीण
पिथौरागढ़- टनकपुर हाईवे से जुड़ा सेरा गांव खुद को कोरोना संक्र्रमण से सुरक्षित रखे हुए है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: पिथौरागढ़- टनकपुर हाईवे से जुड़ा सेरा गांव खुद को कोरोना संक्रमण से बचाए हुए है। पहली लहर में गांव में एक भी संक्रमण का मामला नहीं आया। दूसरी लहर में भी ग्रामीण तमाम एहतियात बरतते हुए खुद को सुरक्षित बनाए हुए हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी. दूर सेरा गांव सरयू और रामगंगा नदी के संगम स्थल के ठीक ऊपर बसा हुआ है। जिले के उपजाऊ गांवों में गिने जाने वाले इस गांव में 40 परिवार रहते हैं। गांव के तमाम युवा बड़े महानगरों में नौकरियां करते हैं। कोविड काल में तमाम युवा गांव वापस लौटे हैं। ग्रामीणों को बाहर से आने वाले प्रवासियों से संक्रमण की आशंका थी। इसके लिए ग्राम प्रधान ने गांव में क्वांरटाइन सेंटर तैयार किए। बाहर से आने वाले लोगों को निर्धारित अवधि तक क्वारंटाइन रखा गया।
गांवों में ग्राम सभा के माध्यम से नियमित सैनिटाइजेशन किया जा रहा है। इसमें गांव के युवा सहयोग दे रहे हैं। खेती किसानी वाले गांव के लोगों खेतों में भी शारीरिक दूरी के मानकों के पालन का नियम बनाया हुआ है, जिसे पूरी कड़ाई से लागू किया जा रहा है। गांव में होने वाले तमाम सार्वजनिक कार्यक्रम स्थितियां सामान्य होने तक स्थगित कर दिए गए हैं। युवाओं की पहल से गांव के लोग घर से बाहर निकलने पर मास्क पहन रहे हैं। ======== सरकार ने कोविड-19 गाइड लाइन पहली लहर के दौरान ही जारी कर दी थी, इस गाइड लाइन का ग्रामीण पूरी तरह पालन कर रहे हैं। गांवों में सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। शारीरिक दूरी के मानकों का पालन किया जा रहा है। गांवों में नियमित तौर पर सैनिटाइजेशन हो रहा है। इस लड़ाई को सामूहिक रू प से ही जीता जा सकता है। इसे ग्रामीण समझ रहे हैं।
- नीमा वल्दिया, ग्राम प्रधान
======== ग्रामीणों के आपसी सहयोग से ही सेरा गांव को अब तक संक्रमण से मुक्त रख पाना संभव हुआ है। ग्रामीण कोविड-19 गाइड लाइन का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। गांव के लोगों ने पहली लहर के दौरान ही खुद को इसके लिए तैयार कर लिया था।
- गोविंद सिंह वल्दिया, पूर्व सैनिक
=========== शारीरिक श्रम है बेहतर इम्यूनिटी का आधार गांव के लोगों की दिनचर्या सुबह पांच बजे शुरू हो जाती है। जानवरों के लिए जंगल से चारा लाने, खेतों में काम करने से उनका शारीरिक श्रम होता है। गांवों में ताजी सब्जियां और दूध का खासा उत्पादन होता है। इनके सेवन से ग्रामीण अपनी इम्यूनिटी का स्तर ऊंचा बनाए हुए हैं।