जाख धौलेत के ग्रामीणों ने पुन: पांच साल के लिए देवी को समर्पित किया जंगल

वन संपदा को बचाने के लिए जाख धौलेत के ग्रामीणों ने पुन जंगल को देवी को समर्पित किया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Dec 2020 11:31 PM (IST) Updated:Fri, 25 Dec 2020 11:31 PM (IST)
जाख धौलेत के ग्रामीणों ने पुन: पांच साल के लिए देवी को समर्पित किया जंगल
जाख धौलेत के ग्रामीणों ने पुन: पांच साल के लिए देवी को समर्पित किया जंगल

डीडीहाट, जेएनएन : जंगलों की सुरक्षा के लिए बने कानूनों को विफल बताते हुए पर्वतीय क्षेत्र में वन संपदा और पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण क्षेत्र की जनता विगत कई वर्षों से आस्था का सहारा लेती आ रही है। क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली व न्याय करने वाले देवी-देवताओं को जंगल समर्पित कर उन्हें बचाया जा रहा है। इसी क्रम में विकासखंड डीडीहाट के जाख धौलेत के ग्रामीणों ने जंगल को पुन: पांच साल के लिए न्याय की देवी कोटगाड़ी को को समर्पित कर दिया है।

जाख धौलेत के ग्रामीणों ने पूरे गाजे-बाजे व विधि-विधान के साथ तिखाखान क्षेत्र में करीब 45 एकड़ में फैले जंगल को न्याय की देवी मां कोकिला को पुन: पांच साल के लिए समर्पित किया। वन सरपंच दीवान सिंह ने बताया कि इससे पूर्व वर्ष 2012 में जंगल को देवी को समर्पित किया गया था। माता को समर्पित करने से जंगल में पेड़ों के अंधाधुंध कटान पर अंकुश लगा। अवैध खनन पर रोक लगी और वन्य जीवों की सुरक्षा भी हुई। जिसे देखते हुए जंगल को पुन: पांच साल तक देवी को चढ़ाने का फैसला लिया गया। इस मौके पर दीवान सिंह गैड़ा, प्रकाश सिंह बोरा, जगत सिंह खाती, विमला बोरा, भूपेश सिंह खाती, कुंदन सिंह गैड़ा, भगवान सिंह, सरस्वती देवी, नवीन सिंह, हिमांशु सिंह, बलवंत सिंह, दीपू, अनुराग, कमला देवी आदि मौजूद रहे।

======== प्याज के पौध बने रोजगार का साधन लोहाघाट : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों प्याज की पौधों का रोपण किया जा रहा है। पौधों की डिमांड ज्यादा होने से पौध बेचने वाले काश्तकारों को आंशिक रोजगार मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के काश्तकार अपनी नर्सरी में उगाए गए पौधों को बिक्री के लिए बाजार में ला रहे हैं। बाराकोट, पाटी और लोहाघाट ब्लाकों के ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज का उत्पादन काफी अधिक किया जाता है। शनिवार को नेपाल सीमा क्षेत्र से प्याज की गड्डी लेकर स्टेशन बाजार पहुंचे प्रकाश सिंह के प्याज के पौध हाथों हाथ बिक गए।

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