इंटर विज्ञान वर्ग में शिक्षक नहीं, कैसे बनेंगे बच्चे डाक्टर, इंजीनियर

राजकीय इंटर कालेज में विज्ञान वर्ग के शिक्षक नहीं होने से अभिभावकों में आक्रोश है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 10:22 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 10:22 PM (IST)
इंटर विज्ञान वर्ग में शिक्षक नहीं, कैसे बनेंगे बच्चे डाक्टर, इंजीनियर
इंटर विज्ञान वर्ग में शिक्षक नहीं, कैसे बनेंगे बच्चे डाक्टर, इंजीनियर

संवाद सूत्र, नाचनी (पिथौरागढ़) : राजकीय इंटर कालेज में विज्ञान वर्ग के शिक्षक नहीं होने से बच्चों को कला वर्ग में प्रवेश लेना पड़ रहा है। विद्यालय में पढ़ने वाले सोलह ग्राम पंचायतों के बच्चों के डाक्टर, इंजीनियर, विज्ञानी बनने के सपने धरे रह गए हैं। अभी तक विज्ञान वर्ग के शिक्षकों की तैनाती नहीं होने से नाराज अभिभावकों ने प्रदर्शन करते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

तहसील तेजम का राइंका बांसबगड़ दूरस्थ क्षेत्र का एकमात्र इंटर कॉलेज है। इस इंटर कॉलेज में सोलह ग्राम पंचायतों के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। इस विद्यालय में इंटर के लिए विज्ञान विषय स्वीकृत है, परंतु विज्ञान के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से विज्ञान की कक्षाएं नहीं चल पा रही हैं। कालेज में रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और वनस्पति विज्ञान किसी भी विषय का अध्यापक नहीं हैं। सम्पन्न अभिभावक तो अपने बच्चों को अन्यत्र विद्यालयों में पढ़ने भेज रहे हैं, परंतु गरीब अभिभावकों के बच्चे चाहते हुए भी विज्ञान नहीं पढ़ पा रहे हैं और कला वर्ग में प्रवेश लेने को मजबूर हैं।

इस संबंध में ग्राम प्रधान तल्ला भैंस्कोट मीना देवी, समाज सेवी दुर्योधन दशौनी, भूपाल सिंह, केशरी देवी, गंगा सिंह सहित अन्य ग्रामीणों ने विज्ञान वर्ग के शिक्षकों की तैनाती की मांग का मांग पत्र मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, जिलाधिकारी और सीईओ पिथौरागढ़ को भेजा है। शिक्षकों की मांग को लेकर बुधवार को अभिभावकों और जनता ने प्रदर्शन किया है और अगस्त माह तक शिक्षकों की तैनाती नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। ================ आखिरी सांसें गिन रहा है ख्वांकोट इंटर कालेज भवन

पिथौरागढ़: विकास खंड कनालीछीना के ख्वांकोट इंटर कॉलेज भवन की हालत दयनीय हो गई है। जर्जर हाल भवन आखिरी सांसे गिन रहा है। 18 माह बाद स्कूल पहुंचे विद्यार्थी जर्जर कक्षों में बैठने को लेकर सहमे हुए हैं। क्षेत्रवासियों ने अविलंब नया भवन बनाए जाने की मांग शिक्षा विभाग से की है।

कनालीछीना क्षेत्र के पुराने विद्यालयों एक ख्वांकोट का विद्यालय भवन करीब चार दशक पुराना है। टिन की बनी भवन की छत जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बारिश का पानी सीधे कक्षाओं में आ रहा है। भवन की दीवारों पर लगा प्लास्टर झड़ चुका है। भवन धराशायी होने के कगार पर है। चार दर्जन से अधिक गांवों के बीच स्थित इस विद्यालय में सैकड़ों विद्यार्थी अध्यनरत हैं। भवन की जर्जर हालत को देख बड़े खतरे की आशंका क्षेत्रवासी जता रहे हैं। क्षेत्रवासी कई बार नया भवन बनाए जाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। बताया गया है कि विद्यालय को दी गई भूमि अभी तक विद्यालय के नाम पर दर्ज नहीं हुई है, जिसके चलते नया भवन बनाने में अड़चन आ रही है। ग्रामीणों ने इस समस्या का हल निकालकर अविलंब नया विद्यालय भवन बनाए जाने की मांग शिक्षा विभाग से की है।

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