तलैया बनी थल क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण सड़कें

थल क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण सड़कें मानसून काल से पूर्व ही बदहाल हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 10:09 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 10:46 PM (IST)
तलैया बनी थल क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण सड़कें
तलैया बनी थल क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण सड़कें

संसू, थल: प्री मानसून बारिश में ही जिले की सड़कों की हालत बदहाल हो गई है। सड़कों के निर्माण में बरती गई लापरवाही से न केवल यात्री परेशान हैं बल्कि सड़कों के आस-पास बने भवन में रहने वालों लोगों को भी भारी मुसीबत झेलनी पड़ रही है।

थल क्षेत्र के अंतर्गत वर्ष 2012 में कमेटखान से रजगौड़ा तक सड़क का निर्माण कराया गया था। वर्ष 2005 में अलकाथल से नैनादेवी सड़क बनाई गई। सड़कों के निर्माण के दौरान नालियों का निर्माण नहीं किया गया। दोनों सड़कों पर आज तक डामरीकरण भी नहीं किया गया। मानसून काल में दोनों सड़कें पानी भर जाने से बदहाल स्थिति में पहुंच जाती है। इस वर्ष मानसून काल से पहले ही यह स्थिति पैदा हो गई है। नालियां नहीं होने से सड़कों पर जमा पानी मलबे के साथ सड़क के निचले हिस्से की ओर बने भवनों में घुस रहा है। पूरी सड़क कीचड़ से पटी हुई है। वाहन चालकों के साथ ही भवन स्वामी भी परेशान हैं। कई बार सड़कों के किनारे नाली बनाने और डामरीकरण की मांग क्षेत्र की जनता कर चुकी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। क्षेत्र के लोग अब मानसून काल को लेकर परेशान हैं।

इधर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दोनों सड़कों के सुधारीकरण के प्रस्ताव बनाए गए हैं, स्वीकृति मिलते ही सड़कों पर डामरीकरण और नाली निर्माण का कार्य कराया जाएगा। ========= दोनों सड़कें क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। दर्जनों गांवों के लोग इन्हीं सड़कों पर निर्भर हैं। लंबे समय से सड़कों की दयनीय स्थिति में सुधार के लिए मांग की जा रही है, लेकिन विभाग कोई पहल नही कर रहा है। ग्रामीणों के पास आंदोलन के सिवाए अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।

- मान सिंह, स्थानीय ग्रामीण

=========== क्षेत्र के दर्जनों लोग मानसून काल में सड़कों की दयनीय हालत के चलते खासी दिक्कत झेलते हैं। जल भराव के चलते वाहनों का संचालन भी मुश्किल हो जाता है। सड़क पर जमा होने वाला पानी मलबे के साथ घरों में घुस रहा है। यह समस्या मानसून काल में आपदा का कारण बन सकती है। समय रहते इसका समाधान जरू री है।

- पीयूष उपाध्याय, ग्रामीण

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