दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रही पढ़ने की ललक, क्वीतड़ में भी खुला पुस्तकालय

पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ गांवों में भी अब पढ़ने की ललक बढ़ रही है। इसलिए साहित्यप्रेमियों ने सीमांत इलाकों में पुस्तकालय खोलने शुरू कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 03:42 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 12:06 AM (IST)
दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रही पढ़ने की ललक, क्वीतड़ में भी खुला पुस्तकालय
दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रही पढ़ने की ललक, क्वीतड़ में भी खुला पुस्तकालय

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: सीमांत जिले पिथौरागढ़ के दूरस्थ गांवों में भी अब पढ़ने की ललक बढ़ रही है। साहित्यप्रेमी ऐसे गांवों में अपने प्रयासों से पुस्तकालय खोल रहे हैं। युवाओं के साथ ही बुजुर्ग और महिलाएं भी पुस्तकालयों में पहुंच रही हैं।

भारत-नेपाल सीमा से लगी सौन पट्टी के क्वीतड़ गांव में शहीद त्रिलोक राम कोहली की स्मृति में पहला पुस्तकालय खोला गया है। पुस्तकालय में हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर पुस्तकें रखी गई हैं। साहित्यप्रेमियों में पुस्तकालय के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराई हैं तो जनप्रतिनिधियों ने धन की मदद दी है। पुस्तकालय का सादे समारोह में शुभारंभ हो चुका है। पुस्तकालय खुलने से गांव के लोग खासे खुश हैं। किताबें पढ़ने में रू चि रखने वाले तमाम ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक उन्हें किताबें नहीं मिल पाती थी। क्षेत्र में संचार सेवा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, जिसके चलते लोग नेट के माध्यम से भी किताबों की जानकारी नहीं ले पाते थे। ग्रामीणों का कहना है कि पुस्तकालय खुलने से हर वर्ग को लाभ होगा। युवा अपना ज्ञान बढ़ा सकेंगे तो बच्चों में रचनात्मकता आएगी। साहित्यकार महेश पुनेठा का कहना है कि दूरस्थ गांवों में पुस्तकालयों की स्थापना एक अच्छा संकेत है। लोगों में पढ़ने की आदत विकसित होगी तो उन्हें अपने समाज, देश, दुनिया की अच्छी समझ आएगी। युवाओं के लिए कैरियर बनाने में भी पुस्तकालय खासे मददगार साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चों को किताबें पढ़ने को मिल जाए तो भविष्य में ज्ञानोपार्जन के लिए बुनियाद तैयार हो जाती है।

रमेश गड़कोटी

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