ठंड से नहीं साब, आवारा जानवरों से दिक्कत

गोविंद भंडारी, अस्कोट: पहाड़ों में इन दिनों ठंड का प्रकोप चरम पर है। रात को पारा शून्य से

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jan 2019 03:41 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jan 2019 03:41 PM (IST)
ठंड से नहीं साब, आवारा जानवरों से दिक्कत
ठंड से नहीं साब, आवारा जानवरों से दिक्कत

गोविंद भंडारी, अस्कोट: पहाड़ों में इन दिनों ठंड का प्रकोप चरम पर है। रात को पारा शून्य से नीचे पहुंच रहा है। लेकिन सीमांत जनपद के अस्कोट क्षेत्र में ग्रामीणों के लिए ठंड से ज्यादा आवारा जानवर परेशानी का सबब बने हैं। इनकी वजह से ऐसी हाड़ कंपाती ठंड की रातें जाग कर बीता रहे हैं।

दरअसल अस्कोट कस्बे के समीपवर्ती देवल, हिनकोट और खोलियागांव में आवारा जानवरों का आतंक मचा हुआ है। रात को ये आवारा गाय, बैल ग्रामीणों के खेत खलिहानों में घुस कर मेहनत से बोयी गई फसल, साग सब्जियों को बर्बाद कर रहे हैं। जिसकी वजह से ग्रामीणों को रात भर जाग कर पहरेदारी करनी पड़ रही है। दिन भर अस्कोट बाजार में विचरण करने वाले इन आवारा मवेशियों को ग्रामीण कई किलोमीटर दूर खदेड़ आते हैं, लेकिन रात होते ही ये फिर वापस लौट आते हैं।

देवल के ग्राम प्रधान त्रिलोक राम बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से ग्रामीणों को प्रतिवर्ष जाड़ों में इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। शासन प्रशासन से ग्रामीणों को इस समस्या से निजात दिलाने की कई बार गुहार लगा दी है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। पूर्व प्रधान अनूप लुंठी के मुताबिक आवारा जानवरों की इस समस्या के लिए वे लोग जिम्मेदार है जो इन जानवरों को उपयोगी रहने तक पालते हैं और अनुपयोगी होने पर छोड़ देते हैं ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें दंडित करने की मांग की है। पहाड़ों में बदलते मौसम चक्र के चलते कृषि घाटे का सौदा साबित हो रही है। इधर अब दिन में बंदर और लंगूर व रातों में आवारा जानवरों के आतंक ने कोढ़ में खाज वाली स्थिति पैदा कर दी है। जिसे लेकर ग्रामीणों में कृषि कार्य से मोहभंग हो चुका है। पहाड़ के गांवों से हो रहे पलायन का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

chat bot
आपका साथी