सिंचाई विभाग ने छोड़ा लावारिश, ग्रामीण बने वारिश

संवाद सूत्र थल तहसील क्षेत्र के बौगाड़ गांव के लिए बनी तीनों नहरों को सिंचाई विभाग ने लावाि

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jul 2019 11:08 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jul 2019 06:32 AM (IST)
सिंचाई विभाग ने छोड़ा लावारिश, ग्रामीण बने वारिश
सिंचाई विभाग ने छोड़ा लावारिश, ग्रामीण बने वारिश

संवाद सूत्र, थल: तहसील क्षेत्र के बौगाड़ गांव के लिए बनी तीनों नहरों को सिंचाई विभाग ने लावारिश हालत में छोड़ दिया है। धान की रोपाई के लिए ग्रामीण खुद ही नहरों की मरम्मत कर खेतों तक पानी पहुंचा नहरों के वारिश बने हुए हैं।

बौगाड़ क्षेत्र जिले के धान उत्पादक क्षेत्रों में प्रमुख है। वर्ष 1984 में ग्रामीणों को धान की खेती के लिए सिंचाई सुविधा देने के उद्देश्य से तीन नहरें बनाई गई थी। वर्ष 2009 तक सिंचाई विभाग इन नहरों की देखभाल कर रहा था। लेकिन पिछले 10 वर्षो से विभाग ने इन्हें लावारिस हालत में छोड़ दिया है। मजबूर ग्रामीण हर वर्ष वर्षा काल में क्षतिग्रस्त होने वाली इन नहरों की मरम्मत खुद ही कर रहे हैं। विभाग खुद ही नहरों में जमा मलबे को निकाल रहे हैं। कई बार विभाग से नहरों की देखरेख की गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन विभाग सुनने को तैयार नहीं है। धान की रोपाई के लिए विभाग इन दिनों खुद ही नहरों को ठीक करने में जुटे हुए हैं। ग्रामीण सुधीर कार्की, कमल कार्की, प्रमोद कार्की, पूजा, जानकी कार्की, नीमा और गीता ने बताया कि नहरों की देखरेख में ग्रामीणों का काफी समय बर्बाद होता है। गांव में रहने वाले प्रत्येक परिवार के सदस्य नहरों के रखरखाव में अपना योगदान दे रहे हैं। हर वर्ष करोड़ों रुपये का बजट खर्च करने वाले सिंचाई महकमे की उदासीनता से ग्रामीण परेशान और आक्रोश में हैं। ========== नहरों की देखरेख के लिए बेलदार तैनात किया गया है। विभाग मनरेगा के तहत इनका रखरखाव कर रहा है। यदि ग्रामीण नहरों की देखरेख के लिए श्रम कर रहे हैं तो वे मनरेगा योजना के तहत मस्टरौल भरकर मजदूरी प्राप्त कर सकते हैं।

- प्रमोद त्रिपाठी, अवर अभियंता, सिंचाई विभाग

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