19वें दिन भी नहीं खुले चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग

चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग 19वें दिन भी बंद रहे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 10:54 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 10:54 PM (IST)
19वें दिन भी नहीं खुले चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग
19वें दिन भी नहीं खुले चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग

जागरण टीम, पिथौरागढ़/धारचूला: चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग 19वें दिन भी बंद रहे। मंगलवार को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू भी नहीं चल सका। उच्च हिमालयी गांवों में फंसे ग्रामीण जान हथेली पर रखकर धारचूला पहुंच रहे हैं।

बीते माह की 19 जून को बंद तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख, तवाघाट-सोबला-ढाकर मार्ग यातायात के लिए नहीं खुल सके हैं। इधर दारमा मार्ग खोलने के लिए उच्च हिमालय में लोडर मशीन मार्ग खोलने में जुट चुकी है। एक सप्ताह के बीच मार्ग खोलने का दावा किया गया है। उच्च हिमालय में दारमा मार्ग खोलना चुनौती बना हुआ था। पूजा में गए लोग फंसे हैं। रेस्क्यू के लिए एक हेलीकॉप्टर लगाया गया है। एक हेलीकॉप्टर से सीमित लोगों को ही धारचूला तक पहुंचाया जा रहा है। उच्च हिमालय में फंसे लोगों में स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। ऑनलाइन पढ़ाई प्रारंभ होने से लोग जान हथेली पर रखकर पैदल आ रहे हैं।

इस बीच एसडीएम एके शुक्ला को सूचना मिली कि दारमा में एक स्थानीय ठेकेदार की लोडर मशीन है। जानकारी मिलते ही एसडीएम ने सीपीडब्ल्युडी के अधिकारियों को ठेकेदार से सम्पर्क कर लोडर मशीन को मार्ग खोलने के निर्देश दिए। सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने ठेकेदार आमोद नगन्याल से सम्पर्क किया। मंगलवार से उच्च हिमालय में ठेकेदार की लोडर मशीन मार्ग खोलने में जुट गई है। लोडर मशीन नागलिंग से ढाकर तक बीस किमी मार्ग खोलने में लगी है। ठेकेदार आमोद नगन्याल ने क्षेत्र में लगे वी सैट से यह जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार सायं तक पांच किमी सड़क खोल दी गई है और एक सप्ताह के भीतर पूरी सड़क यातायात के लिए खुलने के आसार हैं।

तवाघाट से आगे बंद सड़क में तवाघाट से खेत तक आठ किमी सड़क बीआरओ ने खोल दी है। नागलिंग से आगे मार्ग खोलने में लोडर तैनात कर दी गई है। स्कूल और कालेजों में ऑनलाइन पढ़ाई के चलते उच्च हिमालयी गांवों में गए छात्र-छात्राएं पैदल धारचूला आ रहे हैं। व्यास घाटी से लौटी बिंदु रौकली ने बताया कि पंद्रह स्कूली बच्चे और महिलाएं बूंदी से छंकनरे तक दस किमी मार्ग में गिरे मलबे और बोल्डरों के ऊपर जान हथेली पर रखकर पैदल चल कर धारचूला तक पहुंचे हैं। समाज सेवी बिंदु रौंकली और उर्मिला गुंज्याल ने विद्यालयों में ऑनलाइन पढृाई को देखते हुए प्रशासन, बीआरओ और सीपीडब्ल्यूडी से शीघ्र मार्ग खोलने की मांग की है। मंगलवार को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कार्य नहीं चला।

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