हिमालय पर बढ़ती ठंड पशुपालकों पर पड़ रही भारी

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: अमूमन सितंबर के दूसरे सप्ताह में उच्च हिमालय से घाटियों से लौट आने वा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 11:12 PM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 11:12 PM (IST)
हिमालय पर बढ़ती ठंड पशुपालकों पर पड़ रही भारी
हिमालय पर बढ़ती ठंड पशुपालकों पर पड़ रही भारी

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: अमूमन सितंबर के दूसरे सप्ताह में उच्च हिमालय से घाटियों से लौट आने वाले पशुपालक मार्ग बंद होने से फंस गए हैं। उच्च हिमालय में पड़ रही ठंड से नवजात भेड़ और बकरियों की मौत हो रही है। पशुपालकों ने अविलंब मार्ग सुधारकर उन्हें घाटी में वापसी के लिए सुविधा दिए जाने की मांग की है।

धारचूला तहसील के अंतर्गत आने वाला कैलास मानसरोवर पैदल मार्ग लखनपुर-न्जयांग के पास क्षतिग्रस्त पड़ा है। मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाने से कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस वर्ष जिला मुख्यालय से ही हेलीकॉप्टर से ले जाना पड़ा था। यात्रा शुरू होने से पहले ही क्षेत्र के पशुपालक अपने पशुओं के साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना हो चुके थे। अमूमन सितंबर द्वितीय सप्ताह में उच्च हिमालय में ठंड बढ़ जाने पर पशुपालक अपनी भेड़ बकरियों के साथ वापस घाटी वाले इलाकों में लौट आते हैं। इस वर्ष मार्ग ध्वस्त होने से पशुपालक उच्च हिमालय में ही फंस गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता जगत मर्तोलिया ने कहा है कि इस सीजन में ही भेड़-बकरियां प्रजनन करती हैं जो सामान्यता घाटी वाले इलाकों में होता था, लेकिन इस वर्ष पशुपालकों के उच्च हिमालय में ही फंस जाने से भेड़ बकरियां वहीं प्रजनन कर रही हैं, ठंड के चलते नवजात भेड़ बकरियां मारी जा रही हैं। उन्होंने पशुपालकों की समस्या को देखते हुए एक निश्चित समय सीमा के भीतर मार्ग खोले जाने की मांग करते हुए कहा कि मार्ग नहीं खुलता है तो पशुपालकों को होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग की होगी।

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