ठुलीगैर गांव तक पहुंची जंगल की आग, जिला मुख्यालय के निकटवर्ती सिलपाटा, धनौड़ा के जंगल भी धधक रहे

पिथौरागढ़ जिले भर में जंगलों की आग एक बार फिर विकराल रू प लेती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 10:37 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 10:37 PM (IST)
ठुलीगैर गांव तक पहुंची जंगल की आग, जिला मुख्यालय के निकटवर्ती सिलपाटा, धनौड़ा के जंगल भी धधक रहे
ठुलीगैर गांव तक पहुंची जंगल की आग, जिला मुख्यालय के निकटवर्ती सिलपाटा, धनौड़ा के जंगल भी धधक रहे

जागरण टीम, पिथौरागढ़/बरम : जिले भर में जंगलों की आग एक बार फिर विकराल रू प लेती जा रही है। जंगलों की आग से वातावरण में धुंध गहरी हो चुकी है। जंगल की आग से गांवों को बचाने के लिए ग्रामीण पहरा दे रहे हैं। जिला मुख्यालय के निकटवर्ती सिलपाटा, धनौड़ा के जंगल भी जल रहे हैं।

तहसील बंगापानी के अंतर्गत जंगलों में आग की घटनाएं काफी अधिक हो चुकी हैं। गोरी नदी घाटी के सभी जंगल जल रहे हैं। बरम के ठुलीगैर जंगल में लगी आग गांव तक पहुंच गई ग्रामीणों ने घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। रविवार की सायं को जंगल की आग हवा चलने से गांव के पास पहुंच गई। मकानों के निकट तक आग पहुंचने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। ग्रामीण आग बुझाने में जुट गए। मध्य रात्रि के आसपास ग्रामीणों ने गांव के पास पहुंची आग पर काबू पाया। इसके बाद रात भर ग्रामीणों ने पहरा दिया।

क्षेत्र के अधिकांश जंगल आग से जल रहे हैं। जिसके चलते इन जंगलों में रहने वाले वन्य जीवों के लिए खतरा बना हुआ है। जिले के बेरीनाग, थल, डीडीहाट, अस्कोट , मुनस्यारी और गंगोलीहाट के अंधिकांश जंगल आग की चपेट में हैं।

======= जंगलों की भीषण आग की भेंट चढ़ा काफल अस्कोट: जंगलों की आग का असर इस बार काफल बेचने वालों पर भी पड़ चुका है। आग से काफल के वृक्षों को भारी नुकसान पहुंचा है। जिसके चलते बाजारों में काफल बिकने नहीं पहुंच रहा है। पांच हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर मिलने वाले काफल का वानस्पतिक नाम माइरिका एस्कुलेंटा है। काफल औषधीय गुणों से भरपूर फल है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। यह फल इस सीजन में स्थानीय ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य साधन रहता है। हिल स्टेशनों पर चार सौ से पांच सौ रु पये प्रतिकिलो के हिसाब से बिकता है। ग्रामीण इसे बेच कर एक से डेढ़ माह के भीतर 15 से 25 हजार रु पये तक कमा लेते हैं। इस बार जंगलों की आग से काफल नष्ट हो गया है।

जिले के ओगला, जौरासी, कनालीछीना, डीडीहाट, नारायण नगर, सानदेव आदि क्षेत्रों के इस सीजन में काफल बेचने वाले मायूस हैं। ओगला के युवा समाजसेवी अजय अवस्थी का कहना है कि इस बार जंगलों में तीसरी बार आग भड़क चुकी है। जिसके चलते काफल के वृक्ष झुलस गए है और काफल नहीं मिल पा रहा है। ========== जंगल की आग की भेंट चढ़ा राइंका तामानौली का निर्माणाधीन भवन गंगोलीहाट: जंगलों में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार को जंगल की आग राइंका तामानौली तक पहुंच गई। इस दौरान विद्यालय का निर्माणाधीन भवन जलकर राख हो गया।

सोमवार को जंगल की आग राइंका तामानौली तक पहुंच गई। इस बीच विद्यालय का निर्माणाधीन भवन आग की चपेट में आ गया। विद्यालय स्टाफ ने तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दी। वन क्षेत्राधिकारी मनोज सनवाल के नेतृत्व में वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। वन कर्मियों व विद्यालय स्टाफ ने आग बुझाने के काफी प्रयास किए, मगर तब तक विद्यालय का नया भवन जलकर खाक हो गया। वन कर्मियों व विद्यालय स्टाफ की तत्परता से आग को और अधिक फैलने रोका गया। आग बुझाने वालों में दीपक आर्या, सुभाष सिंह, चारु चंद्र पांडेय, अकरम अली, लक्ष्मी भट्ट, मेघा कोहली, रजनी कुमारी, कमल जोशी, मोहन जोशी, आलोक व करन शामिल थे। ===== पर्यावरण प्रेमी जोशी को मुआवजा देने की मांग

वन पंचायत पोखरी के सरपंच प्रदीप जोशी ने वन पंचायत पोखरी में बांज के जंगल में आग बुझाने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से बेहोश हुए पर्यावरण प्रेमी गोविंद प्रसाद जोशी को मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कहा कि जोशी का हल्द्वानी में एक निजी चिकित्सालय में आइसीयू में भर्ती हैं। वह परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य हैं।

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