पहाड़ के किसानों पर प्रकृति और जंगली जानवरों की दोहरी मार

मानसून काल में पहाड़ के कई गांव दोहरी मार झेल रहे हैं एक ओर प्रकृति लोगों के घर छीन रही है तो दूसरी ओर जंगली जानवर आजीविका पर हमला कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 05:49 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 06:16 AM (IST)
पहाड़ के किसानों पर प्रकृति और जंगली जानवरों की दोहरी मार
पहाड़ के किसानों पर प्रकृति और जंगली जानवरों की दोहरी मार

थल, जेएनएन: मानसून काल में पहाड़ के कई गांव दोहरी मार झेल रहे हैं, एक ओर प्रकृति लोगों के घर छीन रही है तो दूसरी ओर जंगली जानवर आजीविका पर हमला कर रहे हैं। आपदा प्रभावित गांवों में जंगली सूअरों का हमला अब नई मुसीबत बनकर सामने आ रहा है।

थल तहसील के सुरखेत गांव के लोग इन दिनों जंगली सूअरों से परेशान हैं। ग्रामीणों की 60 नाली गन्ने की फसल सूअरों ने एक ही रात में उजाड़ दी। जिले में उन गिने चुने गांवों में है जहां गन्ने की खेती होती है और ग्रामीण गन्ने से गुड़ बनाते हैं। इस गुड़ की बाजार में भारी मांग रहती है। किसान गुड़ उत्पादन से अपनी आजीविका चलाते हैं। किसान सुंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग से गन्ने का बीज लिया था। इस वर्ष उन्हें गन्ने के अच्छे उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन सूअरों के झुंड ने पूरी फसल बर्बाद कर दी। अब दोबारा गन्ने की बुआई संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जंगली सूअरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए वन विभाग और खेतों की सुरक्षा के लिए तारबाड़ की गुहार कृषि विभाग से लगाई गई थी, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। इन स्थितियों में किसानों का खेती से मोहभंग हो रहा है। जंगली जानवरों से निजात दिलाने के लिए जल्द पहल नहीं होती है तो किसानों के समक्ष खेती छोड़ने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होगा। इससे पहाड़ में बेरोजगारी और बढ़ेगी।

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