भारत नेपाल सीमा पर तैनात हुआ पहला डॉग स्क्वायड

तेज सिंह गुंज्याल, धारचूला: सीमांत क्षेत्र धारचूला में अब वन्य जंतु अंगों की तस्करी करने वाले बच नह

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Feb 2019 11:09 PM (IST) Updated:Mon, 04 Feb 2019 11:09 PM (IST)
भारत नेपाल सीमा पर तैनात हुआ पहला डॉग स्क्वायड
भारत नेपाल सीमा पर तैनात हुआ पहला डॉग स्क्वायड

तेज सिंह गुंज्याल, धारचूला: सीमांत क्षेत्र धारचूला में अब वन्य जंतु अंगों की तस्करी करने वाले बच नहीं पायेंगे। वन विभाग ने इस क्षेत्र में डाग स्क्वायड तैनात कर दिया है। वन अपराधों की रोकथाम के लिए प्रदेश में पहली बार डॉग स्क्वायड की तैनाती हुई है।

भारत-नेपाल और चीन सीमा से लगी धारचूला तहसील वन्य जंतु अंगों की तस्करी के मामले में बेहद संवेदनशील रही है। पिछले कुछ वर्षो में इसमें तेजी आई है। कई तस्कर पकड़े जा चुके हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इनके नेटवर्क तक नहीं पहुंच पाई हैं। कई बार तस्कर सुरक्षा एजेसिंयों को गच्चा देने में कामयाब रहते हैं। भारत से ले जाए गए वन्य जंतुओं के तस्कर नेपाल में या फिर नेपाल से भारत पहुंचने पर पकड़े जाते हैं।

तस्करों पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए वन विभाग ने पहली बार धारचूला में डाग स्क्वायड की तैनाती कर दी है। धारचूला में तैनात स्क्वायड को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में प्रशिक्षित किया गया है। इसके साथ वन विभाग के दो कर्मचारियों ने भी नौ माह का प्रशिक्षण लिया है। इन दोनों कर्मचारियों को भी अब धारचूला में ही तैनाती दी गई है। प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि स्नीफर प्रजाति का डॉग वन्य जंतु अंगों की गंध लेने में सक्षम है। इसके जरिए तस्करों तक पहुंचा जा सकेगा। इसके लिए सीमा पर तैनात एसएसबी और आईटीबीपी के साथ भी समन्वय बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही एक और डॉग स्क्वायड धारचूला में तैनात किया जाएगा। इन अंगों की ले सकेगा गंध 1. भालू का पित्त

2. कस्तूरा

3. गुलदार की खाल

4. बाघ की खाल

5. गुलदार और बाघ की हड्डियां

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