आत्मनिर्भर बन तीन बेटियों की बखूबी परवरिश कर रहीं हेमा थलाल

18 वर्ष में हुई शादी 26 साल में हो गई विधवा। इसके बाद भी हेमा थलाल तीन बेटियों का लालन पालन बखूबी कर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:27 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:27 PM (IST)
आत्मनिर्भर बन तीन बेटियों की बखूबी परवरिश कर रहीं हेमा थलाल
आत्मनिर्भर बन तीन बेटियों की बखूबी परवरिश कर रहीं हेमा थलाल

पिथौरागढ, विजय उप्रेती : 18 वर्ष में हुई शादी, 26 साल में हो गई विधवा। पति के निधन के बाद एक अकेली लाचार मां के पास तीन मासूम बेटियों की परवरिश का जिम्मा। फिर भी नहीं मानी हार। आत्मनिर्भर बनकर समाज में जीना सीखा और ऐसी ही अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबी बनाकर जीवन जीना सिखाया। जज्बातों से भरी यह कहानी है सीमांत जिले की अग्रणी समाजसेवी हेमा थलाल की।

मूल रू प से विकासखंड धारचूला के बलुवाकोट निवासी हेमा का जन्म वर्ष 1984 में विष्णु दत्त भट्ट के घर में हुआ। महज 18 वर्ष की उम्र में हेमा ने समाज की रू ढ़ीवादी पंरपराओं को आघात पहुंचाते हुए धारचूला के मदन थलाल से अंतरविजातिय विवाह कर लिया। शादी के 8 वर्ष के बाद ही उनके पति का आकस्मिक निधन हो गया और तीन मासूम बेटियां भी बिना पिता के हो गईं। जिस उम्र में लड़कियां करियर बनाने के सुनहरे सपने देखती हैं, उस उम्र में पति का साया सिर से उठना हेमा के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके सामने अकेले तीन बच्चियों की परवरिश करने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच भी, एक चीज जो हेमा के पास थी, वह थी उनकी हिम्मत। उनकी इसी हिम्मत ने उन्हें समाज में आगे बढ़ना सिखाया और उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश के साथ ही पढ़ाई भी आगे निरंतर जारी रखने का फैसला लिया। खुद के बल पर हिदी, समाजशास्त्र व राजनीतिशास्त्र विषय में एमए किया। स्वजनों की मदद से हेमा ने वर्ष 2011 में जिला मुख्यालय से सटे सुकौली में अपना मकान बना लिया और अपनी तीन बेटियों के साथ यहीं रहने लगीं। वर्तमान में उनकी बड़ी बेटी कृतिका 11वीं, योगिता 9वीं व सबसे छोटी बेटी लक्षिता छठी कक्षा में अध्ययनरत हैं। हेमा अपनी तीनों बेटियों को निजी स्कूल में पढ़ा रही हैं। वर्तमान में वह ब्यूटी पार्लर व एक हिदी पत्रिका में कार्य कर अपने बच्चों का लालन-पोषण कर रही हैं। ========= वर्ष 2018 में मिला तीलू रौतेली पुरस्कार

हेमा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण जैसे जागरू कता अभियान चलाकर समाज में अलख जगा रही हैं। घर-घर जाकर लोगों को बेटियों के प्रति जागरू क कर रही हैं। महिलाओं को संगठित कर नशे के खिलाफ जंग लड़ रही हैं। इसके अलावा हेमा साहित्य जगत में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। अभी तक वह लोक विमर्श, पहाड़ का दर्द, सौंदर्य पुस्तक की रचना कर चुकी हैं। समाज में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार ने प्रतिष्ठित तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया। वहीं, चंदा एकत्र कर गरीब महिलाओं तक उज्ज्वला गैस पहुंचाने पर उन्हें वर्ष 2017 में दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा एलपीजी पंचायत पुरस्कार से भी नवाजा गया। उस दौरान देशभर में केवल 104 महिलाओं को ही यह पुरस्कार मिला था और हेमा यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली उत्तराखंड से एकमात्र महिला रहीं। ===== प्रताड़ित महिलाओं को दिखाई समाज में जीने की राह

हेमा सुसराल से प्रताड़ित महिलाओं की मदद के लिए भी हमेशा तत्पर रहती हैं, उन्हें न्याय दिलाती हैं। जिलेभर से उनके सामने तमाम ऐसी महिलाएं आती हैं, जो घरेलू हिसा का शिकार होती हैं। वह अब तक तमाम ऐसी महिलाओं को स्वयं ब्यूटी पार्लर का निश्शुल्क प्रशिक्षण या किसी संस्था के माध्यम से सिलाई का प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। वह स्वयं का उदाहरण पेश कर महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती रहती हैं। ====== दो दर्जन से अधिक नि:संतान महिलाओं की भरी गोद

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की जिला संयोजिका हेमा थलाल नि:संतान दंपती के घर खुशियां लौटाने में भी कभी पीछे नहीं हटती हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के दौरान उन्हें कई ऐसे नि:संतान दंपती मिलते हैं, जिन्हें वास्तव में बेटी की जरू रत होती है, वह उन्हें ऐसे गरीब घरों की नन्हीं बेटियां दिलाते हैं, जिनके घरों में तीन से चार बेटियां हैं और उनके मां-बाप उन्हें पालने में असमर्थ हैं। वह अब तक ऐसे दो दर्जन से अधिक नि:संतान महिलाओं की गोद भर चुकी हैं। ======= भविष्य में महिलाओं के लिए ट्रस्ट खोलने की योजना

हेमा का कहना है कि भविष्य में उनकी योजना महिलाओं के लिए ट्रस्ट खोलने की है। जिसमें बेसहारा हो चुकी महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। समाज में प्रताड़ित महिलाओं को न्याय दिलाया जाएगा। उन्हें विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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