जिले के अंतिम गांव नामिक के ग्रामीणों का क्रमिक अनशन शुरू

सीमांत जिला पिथौरागढ़ के अंतिम गांव नामिक के ग्रामीणों ने सड़क व संचार की मांग को क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 10:58 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:58 PM (IST)
जिले के अंतिम गांव नामिक के ग्रामीणों का क्रमिक अनशन शुरू
जिले के अंतिम गांव नामिक के ग्रामीणों का क्रमिक अनशन शुरू

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: सीमांत जिला पिथौरागढ़ के अंतिम गांव नामिक के ग्रामीणों ने सड़क व संचार की मांग को लेकर शासन-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार को नामिक गांव के ग्रामीणों ने 165 किमी दूर जिला मुख्यालय पहुंचकर अनिश्तिकालीन क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने शीघ्र मांग पूरी नहीं होने पर आगामी 2022 विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है।

गुरुवार को मुनस्यारी विकासखंड के अति दुर्गम ग्राम पंचायत नामिक के ग्रामीण जिला मुख्यालय में टकाना रामलीला मैदान स्थित धरना स्थल पहुंचे। यहां उन्होंने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया। ग्रामीणों ने बताया कि नामिक गांव आजादी के सात दशक बाद भी सड़क व संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। कहा कि एक जनवरी 2017 से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत होकरा से नामिक तक 17 किमी सड़क निर्माण कार्य शुरू किया गया, मगर वर्ष 2019 तक इस सड़क में महज सात किमी ही सड़क निर्माण कार्य हो सका। जबकि निर्माण कार्य 30 जून 2020 तक पूर्ण किया जाना था। इस बीच समय पर कार्य पूर्ण न होने पर पूर्व ठेकेदार को हटाकर नया टेंडर जारी किया गया, तब से सड़क निर्माण कार्य बंद हो गया है और निर्माण कार्य में लगी मशीनें भी हटा दी गई हैं। जिस कारण ग्रामीण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं और उन्हें मजबूरन आंदोलन का सहारा लेना पड़ता है। पहले दिन लक्ष्मण सिंह जैम्याल, प्रताप सिंह, दिनेश सिंह कंडारी, प्रकाश सिंह, उप प्रधान चंदर राम, जसमाल सिंह, विनोद सिंह, खुशाल सिंह, रमेश जैम्याल, दिनेश धरने पर बैठे। उनके समर्थन में नामिक गांव की जेष्ठरा बरपटिया संघ की अध्यक्ष सुशीला देवी, चंद्रा देवी, बीना देवी, सरिता देवी धरने पर बैठे। ========== सात माह तहसील मुख्यालय से अलग-थलग पड़ जाती है 500 की आबादी

सड़क के अभाव में नामिक के ग्रामीणों को आज भी 27 किमी पैदल चलना पड़ता है। वर्ष के सात माह गांव की करीब 500 से अधिक की आबादी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहते हैं। बरसात में पैदल मार्ग उफनाते नालों से बह जाते हैं। वहीं, शीतकाल में तीन माह मार्ग बर्फ से पूरी तरह से ढक जाते हैं। जिस कारण ग्रामीणों को तहसील मुख्यालय से संपर्क कट जाता है। ग्रामीणों को घरों में ही कैद रहना पड़ता है। ======= सड़क नहीं होने से सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को डोली के सहारे 27 किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया जाता है। शासन-प्रशासन को महिलाओं की पीड़ा को समझना चाहिए।

-सुशीला देवी, अध्यक्ष जेष्ठरा बरपटिया संघ। ========== चुनाव के समय राजनीतिक दलों से जुड़े लोग पैदल चलकर गांव तक पहुंचते हैं। ग्रामीणों को सड़क निर्माण के लिए कई बार कोरे आश्वासन दिए जा चुके हैं। अब ग्रामीण किसी के भी झूठे आश्वासन पर नहीं आने वाले हैं। सड़क नहीं बनने पर ग्रामीणों ने आगामी चुनावों का बहिष्कार करने का मन बना लिया है।

-लक्ष्मण सिंह, पूर्व क्षेत्रपं सदस्य। ======== गांव में न सड़क और न ही संचार सुविधा। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव से पलायन निरंतर बढ़ता जा रहा है। गरीब परिवारों के लिए गांव में रहना मजबूरी है। सरकार को ग्रामीणों की सुध लेनी चाहिए।

-लक्ष्मी देवी। ======= डिजिटल युग में भी संचार सुविधा न होना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि नामिक गांव के कई युवा सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संचार सुविधा न होने से स्वजन उनका कोई हाल-चाल नहीं जान पाते हैं। जिस कारण स्वजनों को हमेशा चिंता बनी रहती है। ग्रामीणों की इस समस्या को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

-चंद्रा देवी।

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