बढ़ती दरार की जांच को कोट्यूड़ा पहुंचे दून के भू वैज्ञानिक

पिथौरागढ़ में आपदा प्रभावित कोट्यूड़ा गांव के बीचोंबीच पड़ी दरार की जांच केा दून से पहुंचे भू-विज्ञानी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 09:02 AM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 09:02 AM (IST)
बढ़ती दरार की जांच को कोट्यूड़ा पहुंचे दून के भू वैज्ञानिक
बढ़ती दरार की जांच को कोट्यूड़ा पहुंचे दून के भू वैज्ञानिक

संवाद सूत्र, नाचनी (पिथौरागढ़) : विकासखंड मुनस्यारी के तल्ला जोहार के आपदा से प्रभावित कोट्यूड़ा गांव की भूगर्भीय हलचल का पता लगाने देहरादून से भू वैज्ञानिकों की टीम गांव पहुंच चुकी है। सुंदरीनाग-कोट्यूड़ा मार्ग विगत दो माह से बंद होने से भू वैज्ञानिकों को दस किमी का फेरा लगा कर गांव पहुंचना पड़ा। भू वैज्ञानिकों ने गांव की भूमि में आई दरारों के कारणों का पता लगाना शुरू कर दिया है।

कोट्यूड़ा गांव में जुलाई में भारी भूस्खलन हुआ था। गांव की सीमा से एक किमी की परिधि में स्थित पहाड़ी पर भूस्खलन से दो मकान क्षतिग्रस्त होने के साथ ही एक दर्जन मकान खतरे में आ गए थे। इन परिवारों को प्राथमिक विद्यालय भवन में रखा गया। अगस्त में गांव के बीच भूमि में दरार पड़ने लगी। दरार लगातार चौड़ी होती गई। गांव के छह मकान खतरे में आ गए। छह परिवारों को पंचायत घर में रखा गया।

सितबंर का एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी भूमि में पड़ी दरारें फैलती गई। ऐसे में बीते दिनों ग्राम प्रधान तुलसी देवी और प्रभावित परिवारों ने तहसील मुख्यालय तेजम पह्रुंच कर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। दरारों की भू गर्भीय जांच कराने की मांग की । सोमवार को देहरादून से भू वैज्ञानिकों की टीम गांव तक पहुंच चुकी है।

भूगर्भ दल में देहरादून से आए भू वैज्ञानिक राहुल नेगी, बुधीर कुमार, राहुल नेगी को राजस्व उप निरीक्षक गणेश देऊपा, प्रवीण कुमार, ग्राम प्रधान तुलसी देवी, बीडीसी सदस्य भरत चुफाल, भाजपा मंडल अध्यक्ष दीपू चुफाल ने मौका मुआयना कराया। सहमे हैं ग्रामीण

कोट्यूड़ा गांव में भूमि में दो से तीन फीट चौड़ी हो चुकी दरार के चलते भावी आशंकाओं को लेकर ग्रामीण सहमे हुए हैं। अभी तक छह परिवारों के मकान के पास तक दरार आने से परिवार के सदस्यों ने पंचायत घर में शरण ली है। दरार अन्य मकानों तक पहुंचने लगी हैं। गांव में तीस से अधिक घरों में तकरीबन 300 लोग रहते हैं। मौसम खराब होने पर ग्रामीणों की नींद उड़ जाती है। ग्राम प्रधान तुलसी देवी ने बताया कि गांव के सारे पैदल मार्ग ध्वस्त हैं। पूरे गांव में मानसून काल में हुए भूस्खलन के मंजर नजर आते है।

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कोट्यूड़ा और इससे लगे बाता गांव की भूगर्भीय जांच की जा रही है। कोट्यूड़ा गांव की स्थिति बेहद संवेदनशील बनी है। हर पहलू की जांच की जा रही है। जांच की रिपोर्ट देहरादून जाएगी। तीन सप्ताह बाद इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक हो सकती है।

-राहुल नेगी, भू वैज्ञानिक

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