वन भूमि हस्तांतरण की धीमी प्रक्रिया में लटकी पांच महत्वपूर्ण सड़कें

वन अधिनियम पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण पर भारी पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 10:47 PM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 10:47 PM (IST)
वन भूमि हस्तांतरण की धीमी प्रक्रिया में लटकी पांच महत्वपूर्ण सड़कें
वन भूमि हस्तांतरण की धीमी प्रक्रिया में लटकी पांच महत्वपूर्ण सड़कें

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: वन अधिनियम पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण पर भारी पड़ रहा है। वन भूमि हस्तांतरण के मामलों में देरी के चलते बड़ी आबादी अभी भी सड़क सुविधाओं से वंचित है। सीमांत जिले में पांच बेहद महत्वपूर्ण सड़कों की फाइलें पिछले एक वर्ष में एक इंच आगे नहीं बढ़ सकी हैं।

सीमांत धारचूला क्षेत्र के अंतर्गत जुम्मा से रांथी तक सड़क प्रस्तावित है। इसका खाका पांच वर्ष पूर्व खींच लिया गया था। सर्वे हुई तो पता चला कि सड़क में वन भूमि आ रही है। मामला लंबे समय तक लटका रहा। क्षेत्रीय जनता आंदोलन पर उतरी तो नए सिरे से कवायद हुई। वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव तैयार कर देहरादून भेजे गए, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका है। इसी क्षेत्र के अंतर्गत बरम-कनार सड़क भी पेंच में फंसी हुई है। कनार गांव के लोगों को आज भी अपने गांव पहुंचने के लिए 16 किमी. की पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। यह वह सड़क है जिसके लिए प्रदेश के दो-दो मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं।

गंगोलीहाट तहसील के अंतर्गत पव्वाधार-नैनी और मड़कनाली-भामा सड़क का भी वन भूमि हस्तांतरण मामला लटका हुआ है। इन क्षेत्रों की जनता कई बार सड़कों के निर्माण के लिए आंदोलन कर चुकी हैं, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ रहा है। क्षेत्र के लोगों को सड़क तक पहुंचने के लिए कई-कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। पिथौरागढ़ तहसील क्षेत्र के अंतर्गत धारी-बेलतड़ी सड़क के लिए भी क्षेत्र के लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। जिला पंचायत सदस्य रुकमणी जोशी इस सड़क के निर्माण की मांग कई बार जिला पंचायत की बैठकों में उठा चुकी हैं, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण की फाइल आगे नहीं बढ़ रही है। सड़कें नहीं होने से दर्जनों गांवों का विकास बाधित हो रहा है। सड़कों के निर्माण की मांग को लेकर अब संबंधित क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य मुखर हो गए हैं। =========== वन भूमि हस्तांतरण के मामलों में तेजी लाने के लिए अब हर 15 दिन में प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है। अगले चार माह में सभी प्रस्तावों के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी कराने का लक्ष्य रखा गया है।

- आनंद स्वरू प, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़

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