पिथौरागढ़ जिले में धूमधाम से मनाई गई विश्वकर्मा जयंती
विश्वकर्मा जयंती जिले भर में धूमधाम से मनाई गई।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: विश्वकर्मा जयंती जिले भर में धूमधाम से मनाई गई। यंत्रों से जुड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों सहित एसएसबी परिसर में पूजा-अर्चना हुई। देर सायं भजन कीर्तनों का आयोजन किया गया।
विश्वकर्मा जयंती पर एसएसबी की बगड़ीहाट चौकी में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम हुआ। जवानों ने हथियारों के साथ ही मोटर वाहनों की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर सहायक कमांडेंट समीर राना, प्रभारी सहायक निरीक्षक कश्मीर सिंह, उपनिरीक्षक अनिल कुमार थपलियाल, सहायक उपनिरीक्षक महेश चंद्र भट्ट, सुधीर कुमार सहित तमाम जवान मौजूद रहे। विद्युत यांत्रिक खंड में पं.जमुना दत्त ने पूजा अर्चना कराई। इस अवसर पर अधिशासी अभियंता निशांत नेगी, जीएस मेहरा, हरीश टोलिया, चालक संघ के अध्यक्ष प्रताप सिंह मेहता, एनएच के सहायक अभियंता हरीश बथियाल, दिनेश गिरिराज, केसी जोशी, नरेंद्र सिंह महर, दलीप सिंह, फिरासत हुसैन, भुवन चंद्र पंत आदि मौजूद रहे। पुलिस लाइन में शस्त्र पूजा का आयोजन हुआ। जिसमें पुलिस उपाधीक्षक राजेंद्र रौतेला, प्रतिसार निरीक्षक नरेंद्र कुमार आर्या, लाइन मेजर कुंवर सिंह मौजूद रहे।
जिला मुख्यालय के सिनेमा लाइन में कारपेंटरों ने पंडाल लगाकर पूजा अर्चना की। भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर कारीगरों ने तरक्की की कामना की। नगर के तमाम मोटर गैराजों के साथ ही रोडवेज वर्कशॉप में भी पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। देर सायं तक भजन कीर्तन का दौर चलता रहा। विश्वकर्मा जयंती को लेकर मजदूरों ने शुक्रवार को अवकाश रखा। ==== सीमांत में धूमधाम से मनाया गया गो रक्षा का लोकपर्व खतड़वा
पिथौरागढ़: कुमाऊं के पर्वतीय भू-भाग में मनाया जाने वाला गो रक्षा से जुड़ा लोकपर्व खतड़वा शुक्रवार को सीमांत जनपद में धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बच्चों में पर्व को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला।
मान्यता है कि बरसात में गाय व अन्य मवेशियों में कई तरह की बीमारी होती है। बरसात खत्म होने व शरद ऋतु के आगमन में पशुओं के रोग-व्याधियों को भगाने के लिए आश्विन माह के प्रथम दिन खतड़वा (गाईत्यार) मनाया जाता है। इस दिन गांवों में लोग अपने पशुओं के गोशाला को विशेष रू प से साफ करते हैं और पशुओं को नहला-धुलाकर उनकी खास सफाई की जाती है। फिर उन्हें पकवान बनाकर खिलाया जाता है। गोशाला में मुलायम घास बिखेर दी जाती है। सुबह घर के आंगन में गाय के गोबर के खाद के ऊपर हरी घास की बूगी मूर्ति का आकार बनाकर स्थापित की जाती है। फिर वहां पर ककड़ी, घर का नया चावल, अखरोट, मक्का, फूल, ककड़ी के पत्ते आदि चढ़ाए जाते हैं। शाम के समय घर की महिलाएं, बच्चे खतड़ुवा (एक छोटी मशाल) जलाकर उससे गोशाला के अंदर लगे मकड़ी के जाले आदि साफ करते हैं और फिर गोशाला के अंदर मशाल को बार-बार पशुओं के ऊपर घुमाया जाता है। इस दौरान भगवान से पशुओं को दुख-बीमारी से दूर रखने की कामना की जाती है। माना जाता है कि इससे मवेशियों को मुख्य रू प से खुरपका व मुंहपका रोग से निजात मिलती है।