विलुप्त होती आदिम जनजाति पर बनेगी डॉक्यूमेंट्री
पिथौरागढ़ जिले में विलुप्ति के कगार पर पहुंची प्रदेश की एकमात्र आदिम जनजाति वनराजि पर शीघ्र ही डाक्यूमेंट्री बनेगी।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : विलुप्ति के कगार पर पहुंची प्रदेश की एकमात्र आदिम जनजाति वनराजि पर शीघ्र ही डॉक्यूमेंट्री बनेगी। उत्तराखंड की खोज कार्यक्रम के संयोजक जगजीवन कन्याल ने वनराजि जनजाति को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की बीड़ा उठाया है। डाक्यूमेंट्री के माध्यम से वनराजि परिवारों के जीवन स्तर को उठाने का प्रयास किया जाएगा।
सोमवार को उत्तराखंड की खोज कार्यक्रम के तहत जगजीवन के नेतृत्व में वनराजि बाहुल देवीसूना गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। इस दौरान स्थानीय सीएचसी प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. बलवंत सिंह महरा व उनकी टीम द्वारा वनराजि परिवारों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। साथ ही उन्हें दवा भी वितरित की गई। चिकित्सकों ने वनराजियों को कोविड-19 के प्रति जागरूक करते हुए नियमों का पालन करने की अपील की। इस मौके पर पालिकाध्यक्ष कमला चुफाल द्वारा वनराजियों को कोरोना से बचाव के लिए सैनिटाइजर व मास्क वितरित किए। जगजीवन ने वनराजि जनजाति की भविष्य की योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वनराजि जनजाति वर्तमान समय में लगभग विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है। एक रिसर्च के अनुसार वनराजियों का अधिकतर जीवनकाल 50 से 55 वर्ष तक ही रहता है। इसके कारणों का पता लगाने के लिए कार्य करने की योजना है। उन्होंने कहा वनराजियों के रहन-सहन, खानपान, उनकी आजीविका के संसाधनों पर शीघ्र ही डॉक्यूमेंट्री व पुस्तक तैयार कर इनके जीवन स्तर को उठाने का कार्य करेंगे। कार्यक्रम में ग्राम प्रधान महेश कन्याल, अर्जुन सिंह कन्याल, राजेंद्र सिंह कफलिया, मनोहर सिंह कन्याल, मनोहर कन्याल, अनुभव भंडारी, जनकवि जनार्दन उप्रेती, राजेश भंडारी, मोहन पंत, दीपक कन्याल समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।