यक्षवती नदी पुनर्जीवन का कार्य युद्धस्तर पर होगा

डा रणजीत सिंहा ने पिथौरागढ़ की यक्षवती नदी को पुनर्जीवित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 06:52 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 06:52 PM (IST)
यक्षवती नदी पुनर्जीवन का कार्य युद्धस्तर पर होगा
यक्षवती नदी पुनर्जीवन का कार्य युद्धस्तर पर होगा

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: नदी पुनर्जीवन एक महत्वपूर्ण मिशन है। यक्षवती नदी (रई नाला) का पिथौरागढ़ के लिए अति महत्व है। इसके पुनर्जीवन के लिए समय के साथ सफलता प्राप्त करने के लिए वन विभाग के साथ अन्य रेखीय विभागों को समन्वयक बना कर युद्धस्तर पर कार्य करना होगा।

यह सख्त निर्देश जिले के प्रभारी सचिव डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को रई जलागम क्षेत्र और उद्गम स्थल मड़, खड़ायत का अधिकारियों के साथ निरीक्षण करते हुए दिए। विभागों को इस कार्य को जल्द धरातल पर लाने के लिए जहां प्लान तैयार करने को कहा वहीं सफल क्रियान्वय के लिए अपर जिलाधिकारी आरडी पालीवाल को नोडल अधिकारी तैनात किया। जिलाधिकारी डा. वीके जोगदंडे को समय-समय पर कार्य का निरीक्षण करने के साथ ही कार्य की समीक्षा करने को कहा। ======= यक्षवती पुनर्जीवन के लिए होंगे यह कार्य - नदी के उद्गम स्थल के ऊपरी भू भाग में जल संरक्षण और जल संव‌र्द्धन

- स्वयं सहायता समूहों की ली जाएगी मदद

- क्षेत्र का सीमांकन करने के बाद ड्रोन कैमरे के माध्यम से तैयार होगा नक्शा

- क्षेत्र के सभी नालों, गधेरों के किनारे होगा चौड़ी पत्त्ती वाले पौधों का व्यापक रोपण

- संबंधित विभागों को दिए जाएंगे लक्ष्य

- उन प्रजातियों का होगा रोपण जिनसे स्थानीय लोगों की आजीविका में वृद्धि होगी ====== प्रभारी सचिव के साथ ये अधिकारी रहे मौजूद

जिलाधिकारी डा. वीके जोगदंडे, एडीएम आरडी पालीवाल, एसडीएम सदर तुषार सैनी, उप प्रभागीय वनाधिकारी नवीन पंत, ईओ नगरपालिका मनोज दास। =========== इसलिए महत्वपूर्ण है यक्षवती नदी नगर के उत्तरी क्षेत्र में बहने वाली रई गाड़ को यक्षवती नदी कहा जाता है। इस नदी के किनारे ही नैनी सैनी हवाई पट्टी है। इसी नदी पर पूर्व में प्रस्तावित रई कृत्रिम झील का निर्माण होना है। प्रकृति द्वारा इस नदी सहित इसकी सहायक नदियों का प्रवाह एक अनौखा जल प्रवाह संचरण है। इसका प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम गजब का है। जिसके चलते यक्षवती सहित अन्य सहायक गधेरे पिथौरागढ़ नगर के लिए किसी भी तरह का खतरा नहीं हैं। यक्षवती नदी में उसके सहायक नाले, गधेरे मिलने के बाद इसे ठूलीगाड़ (बृहद नाला) नाम मिला है। इस नदी से एक पेयजल योजना नगर के लिए बनी है तो पूरा सैन्य क्षेत्र इसी नदी के जल से लाभावित है। नगर के इस क्षेत्र की हरियाली इसी नदी के कारण है। अतीत में लबालब रहने वाले यक्षवती को फिर से पुनर्जीवन का कार्य नगर के सौंदर्य में भी चार चांद लगा देगा। =========== प्रभारी सचिव ने किया चौबाटी पिरू ल विद्युत परियोजना का निरीक्षण संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: प्रभारी सचिव कौशल विकास डा.रंजीत सिंहा ने शुक्रवार को डीडीहाट के चौबाटी गांव में संचालित पिरू ल संचालित विद्युत परियोजना का निरीक्षण किया। उन्होंने जिले में प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी ली।

चौबाटी में 25 किलोवाट का विद्युत संयत्र स्थापित किया गया है। जंगलों की आग का बड़ा कारण बनने वाले पिरू ल से यहां बिजली का उत्पादन हो रहा है। गांव में पहुंचे प्रभारी सचिव डा. सिंहा ने गांव पहुंचकर परियोजना देखी। उरेडा के परियोजना अधिकारी एके शर्मा से उन्होंने जिले में प्रस्तावित अन्य योजनाओं की ानकारी ली। परियोजना अधिकारी ने बताया कि जिले में इस योजना के लिए चार लाभार्थियों का चयन किया गया है, जिन्हें 500 दिन का समय कार्य पूरा करने के लिए दिया गया है। उन्होंने बताया कि चौबाटी परियोजना से 15-20 महिलाओं को पिरू ल संग्रह का कार्य मिला हुआ है। इसके अलावा चार लोग परियोजना में कार्य कर रहे हैं। उत्पादित बिजली को ऊर्जा निगम 7.54 यूनिट की दर से खरीद रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही 50 किलोवाट की एक और 25-25 किलोवाट की दो और परियोजनाएं शुरू हो जायेंगी। प्रभारी सचिव ने पिरू ल से बिजली बनाने के कार्य को बढ़ावा दिए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि इससे जहां जंगलों की आग पर काबू पाने में मदद मिलेगी वहीं रोजगार के अवसर गांवों में ही सृजित होंगे।

chat bot
आपका साथी