बंगापानी तहसील का कनार बना कालापानी, 16 किमी पैदल मार्ग दस स्थानों पर ध्वस्त

तहसील बंगापानी के अंतर्गत छिपलाकेदार पर्वतमाला में आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कनार गांव कालापानी बन चुका है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 10:14 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 10:14 PM (IST)
बंगापानी तहसील का कनार बना कालापानी, 16 किमी पैदल मार्ग दस स्थानों पर ध्वस्त
बंगापानी तहसील का कनार बना कालापानी, 16 किमी पैदल मार्ग दस स्थानों पर ध्वस्त

संवाद सूत्र, बरम : तहसील बंगापानी के अंतर्गत छिपलाकेदार पर्वतमाला में आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कनार गांव कालापानी बन चुका है। सड़क मार्ग से 16 किमी चढ़ाई पर स्थित इस गांव तक आने जाने के लिए ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ रही है। जिससे हर पल खतरा बना हुआ है। मार्ग की सुध नहीं लिए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।

मानसून काल से निपटने और बंद मार्ग खोलने के लिए प्रशासन की तैयारियों की पोल जिले की सड़कें और पैदल मार्ग खोल रहे हैं। सबसे दयनीय स्थिति पैदल मार्गो से जुड़े गांवों की है। जिसमें तहसील बंगापानी का ऊंचाई पर स्थित कनार गांव है। इस गांव की विडंबना यह है कि गांव का बाजार सोलह किमी दूर बरम नामक स्थान है। सड़क भी बरम तक ही है। बरम से 16 किमी चढ़ाई तक बना मार्ग दस स्थानों पर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। मार्ग पर पड़ने वाले नालों में पुल और पुलिया तक नहीं हैं।

ग्रामीणों के सम्मुख अपने बाजार तक आने की मजबूरी है। चिकित्सा सुविधा भी बरम में ही है। यहां तक कि हाईस्कूल से आगे पढ़ने के लिए बच्चों को बरम राइंका में आना पड़ता है। इस समय विद्यालय बंद हैं, परंतु सोमवार से विद्यालय खुलने जा रहे हैं। कनार के बच्चों को पढ़ने के लिए जानलेवा मार्ग से बरम तक आना जाना पड़ेगा। कनार मार्ग बीते वर्ष की आपदा के दौरान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। एक वर्ष पूर्व क्षतिग्रस्त मार्ग की मरम्मत नहीं किए जाने से इस बार मार्ग अब चलने योग्य नहीं रहा, परंतु विकल्प के अभाव में कनार गांव के 160 परिवार इसी मार्ग से आवाजाही कर रहे हैं।

क्षेत्र पंचायत सदस्य महेंद्र बुदियाल का कहना है कि यह मार्ग जिला पंचायत के अंतर्गत आता है। जिपं को कई बार अवगत करा दिया गया है। उन्होंने तहसील प्रशासन, जिला प्रशासन से अविलंब पैदल मार्ग को चलने योग्य बनाने की मांग की है। स्थानीय निवासी प्रेम सिंह ने कहा है कि शीघ्र मार्ग की मरम्मत नहीं होने पर ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

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