नदियों का रुख बदलने अन्नदाता हुए परेशान

संवाद सहयोगी, कोटद्वार: नियमों के विरुद्ध हुए चैनेलाइजेशन से क्षेत्र की नदियों का रूख बदलने गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 04:13 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 04:13 PM (IST)
नदियों का रुख बदलने  अन्नदाता हुए परेशान
नदियों का रुख बदलने अन्नदाता हुए परेशान

संवाद सहयोगी, कोटद्वार: नियमों के विरुद्ध हुए चैनेलाइजेशन से क्षेत्र की नदियों का रूख बदलने गया है। ऐसे में काश्तकारों को कृषि भूमि के कटाव का खतरा सताने लगा है। हालत यह है कि पूर्व में कई बार आश्वासन देने के बाद भी शासन-प्रशासन ने नदियों के आसपास बाढ़ स़ुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं करवाया।

कोटद्वार व भाबर के अधिकांश लोग खेती पर ही निर्भर है। खोह, मालन, सुखरौ नदी सहित पनियाली, ग्वालगाड़ गदेरे के आसपास काश्तकारों की काफी कृषि भूमि है, लेकिन कुछ माह पूर्व किए गए चैनेलाइजेशन कार्य से इन नदियों व गदेरों का रूख बदल गया है। कई स्थानों पर नदी व नालों ने झील का रूप ले लिया है तो कई स्थानों पर रूख आबादी की ओर हो गया है, इस स्थिति में काश्तकारों को नदी व नालों के आसपास अपने खेतों को बचाने की चिता सताने लगी है। सत्तीचौड़ निवासी काश्तकार कल्याण सिंह ने बताया कि एक सप्ताह पूर्व हुई बारिश से ग्वालगाड़ गदेरा उफान पर आ गया था, जिससे उनकी कृषि भूमि का एक हिस्सा गदेरे की भेंट चढ़ गया। काश्तकार सोहन सिंह, महेंद्र कुमार ने बताया कि हर वर्ष नदी-नाले उफान पर आने से भूमि कटाव होता है। शिकायत के बाद भी जिम्मेदार सिस्टम की नींद नहीं खुल रही।

काश्तकारों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष उन्हें बरसात में नुकसान झेलना पड़ता है। नुकसान के बाद जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचकर उन्हें बाढ़ सुरक्षा दीवार बनवाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन बरसात समाप्त होते ही जनप्रतिनिधि अपना वादा भूल जाते हैं। नतीजा हर वर्ष धीरे-धीर काश्तकारों की भूमि नदी नालों की भेंट चढ़ रही है। महापौर हेमलता नेगी का कहना है कि सरकार से लगातार बाढ़ सुरक्षा कार्यो के लिए बजट की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही।

chat bot
आपका साथी