खुले आसमां तले सुनहरे भविष्य के सपने बुन रही होनहार बेटियां
रोहित लखेड़ा, कोटद्वार कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत बलभद्रपुर क्षेत्र में सुखरो नदी के किनारे एक खा
रोहित लखेड़ा, कोटद्वार
कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत बलभद्रपुर क्षेत्र में सुखरो नदी के किनारे एक खाली प्लाट में झोपड़ी डाल रह रहे बाबू राय के लिए आज का दिन किसी उत्सव से कम नहीं है। तमाम बाधाओं को पार कर उनकी होनहार बेटियों मीरा व रेखा ने इंटरमीडिएट व हाईस्कूल की परीक्षा में प्रथम स्थान पाया है। दोनों बेटियों ने ऐसे परिस्थितियों में अस्सी फीसद से अधिक अंक पाए, जब उन्हें कई मर्तबा रात को भूखे पेट भी सोना पड़ता था। आर्थिक हालात इस कदर कमजोर कि आठवीं के बाद उनके समक्ष पढ़ाई छोड़ना ही एकमात्र विकल्प रह गया था। ऐसे में कोटद्वार के राजकीय इंटर कालेज के शिक्षक संतोष नेगी ने मदद का हाथ बढ़ाया व दोनों बेटियों को शिक्षा को मुख्य धारा से जोड़ा।
कोटद्वार के राजकीय इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट में पढ़ने वाली मीरा ने बोर्ड परीक्षा में 82 फीसद अंक पाए हैं, जबकि उसकी बहन रेखा ने दसवीं परीक्षा में 83 फीसद अंक प्राप्त किए। ऐसा नहीं कि इन दोनों बेटियों ने जिले अथवा कोटद्वार में सबसे अधिक अंक पाए हों। लेकिन, जिन परिस्थितियों में उन्होंने यह मुकाम पाया, वह सराहनीय है। फूस की झोपड़ी के ऊपर काली थैली बिछा अपने माता-पिता के साथ जीवन-यापन करने वाली दोनों बेटियों ने न तो कभी डाक्टर बनने का सपना देखा और न ही इंजीनियर बनने का। दोनों कोई ऐसी नौकरी देखने का सपना संजोए हैं, जिसके बाद उनके पिता को दिन-रात मजदूरी करने के लिए नदियों की खाक न छाननी पड़े।
तो छोड़ने वाली थी पढ़ाई
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण दो वर्ष पूर्व मीरा व उसकी छोटी बहन रेखा ने पढ़ाई छोड़ दी। शिक्षक संतोष नेगी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने परिवार से मिलकर बेटियों की पढ़ाई में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने दोनों बहनों के लिए शुल्क, किताबों व परिधान की व्यवस्था करवाई। साथ ही स्कूल तक आने-जाने के लिए साइकिल भी खरीद कर दी। घर से स्कूल की दूरी करीब चार किलोमीटर दूर थी। झोपड़ी में विद्युत व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में व्यवसायी संतोष कुमार नैथानी ने इन बेटियों को सौर ऊर्जा लालटेन दी।
परीक्षा होती तो नंबर भी बढ़ते
कोटद्वार : दोनों बहनों का कहना है कि उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं के लिए बहुत तैयारी की थी। कहा कि यदि नियमित तौर पर कक्षाओं का संचालन होने के बाद परीक्षाएं होती तो उन्हें नब्बे फीसद से अधिक अंक पाने का भरोसा था। मीरा ने बताया कि इंटर पास करने के बाद अब वह कोई रोजगारपरक कोर्स करना चाहती है, जिससे वह अपने परिवार की आर्थिकी को सुधार सके।