कभी कोटद्वार की प्यास बुझाती थी खोह नदी, आज दम तोड़ती आ रही नजर; पुनर्जीवित करने को बन रही ये योजना
एक समय था जब कोटद्वार नगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की जनता की प्यास खोह नदी का स्वच्छ-निर्मल जल बुझाता था। वक्त बीता और बदलते हालातों के साथ आई नलकूपों की बाढ़ ने खोह नदी से आमजन की निर्भरता ही खत्म कर दी।
अजय खंतवाल, कोटद्वार। एक समय था, जब कोटद्वार नगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की जनता की प्यास खोह नदी का स्वच्छ-निर्मल जल बुझाता था। वक्त बीता और बदलते हालातों के साथ आई नलकूपों की बाढ़ ने खोह नदी से आमजन की निर्भरता ही खत्म कर दी। खोह नदी को संरक्षित किया जाना था, लेकिन आज वही दम तोड़ती नजर आ रही है, लेकिन अब देर से ही सही पर आखिर सरकारी तंत्र इस नदी को पुनर्जीवित करने की तैयारी में है।
दुगड्डा में सिलगाड और लंगूरगाड नदियों के मिलन के बाद आकार लेती है खोह नदी। दुगड्डा से कोटद्वार की ओर बहते हुए खोह नदी करीब 25 किलोमीटर का सफर तय कर नदी सनेह क्षेत्र में बह रही कोल्हू नदी से जाकर मिल जाती है। इसके बाद कोल्हू नदी भी खोह के नाम से ही रामगंगा की ओर सफर शुरू कर देती है। कोटद्वार से दुगड्डा के मध्य खोह नदी की स्थिति पर नजर डालें तो बरसात के मौसम में नदी भले ही विकराल रूप में नजर आए, लेकिन गर्मियां आते-आते नदी अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच जाती है।
यहां यह बताना जरूरी है कि राज्य गठन से पूर्व इसी खोह नदी से कोटद्वार नगर क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति होती थी। राज्य गठन के बाद क्षेत्र में नलकूप और हैंडपंपों की बाढ़ आई और खोह नदी दम तोड़ती चली गई। वर्तमान में कोटद्वार क्षेत्र में जल संस्थान और सिंचाई विभाग के 68 नलकूप हैं, जिनसे पेयजल आपूर्ति होती है। नलकूपों के जरिए बड़ी तादाद में भूगर्भीय जल के दोहन से भूगर्भीय जलस्तर भी तेजी से गिर रहा है। दो दशक पूर्व तक नहीं सौ-डेढ़ सौ फुट पर पानी मिलता था, अब चार सौ फीट की गहराई में भी मुश्किल से पानी मिल पा रहा है।
यह है सरकारी योजना
लघु सिंचाई विभाग खोह नदी में दो झीलें बनाने की तैयारी में है। इसके लिए वन विभाग ने कैंपा के तहत दोनों झीलों के निर्माण को दो-दो करोड़ की धनराशि अवमुक्त की गई है। विभाग के अधिशासी अभियंता राजीव रंजन ने बताया कि एक झील कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य लालपुल के नीचे बनाई जाएगी, जिसकी ऊंचाई करीब दस मीटर होगी। इसके लिए पांच करोड़ का प्रस्ताव बनाया गया है।
दूसरी झील इसी मार्ग पर वन विभाग की चेक पोस्ट के समीप बनाने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए साढ़े सात करोड़ का प्रस्ताव है। दोनों झीलों के डिजाइन आइआइटी रुड़की से तैयार करवाए जा रहे हैं। बताया कि दोनों झीलों से ग्रेविटी के जरिए पेयजल भी लिया जाएगा। इधर, सिंचाई विभाग भी इस नदी पर दो झील बनाने की तैयारी में है। इसके लिए विभाग की ओर से शासन में प्रस्ताव भेजे गए हैं।
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