आवाज डिब्बे में बंद, खतरे में बेटियां
संवाद सहयोगी कोटद्वार बेटियों की सुरक्षा को लेकर सरकारी सिस्टम किस कदर मुस्तैद है इस
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: बेटियों की सुरक्षा को लेकर सरकारी सिस्टम किस कदर मुस्तैद है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तीन वर्ष पहले विद्यालयों में बेटियों की शिकायत के लिए लगे शिकायती बाक्स के ताले आज तक नहीं खोले गए हैं। ऐसे में यदि किसी छात्रा ने छेड़छाड़ या किसी अन्य घटना की शिकायत बाक्स में डाली होगी तो उसे न्याय कैसे मिलेगा? इतना ही नहीं, बेटियों को शिकायत बाक्स के महत्व के बारे में बताने के लिए भी पुलिस की ओर से कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया गया।
छेड़छाड़ और शारीरिक शोषण संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए तीन वर्ष पहले क्षेत्र के 65 शिक्षण संस्थानों में शिकायती बाक्स लगाए गए थे। लेकिन, बाक्स लगाने के बाद पुलिस प्रशासन ने इसकी सुध तक नहीं ली। नतीजा, इन बाक्स का महत्व अब दीवार पर टंगे डिब्बे से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है। हालात यह हैं कि कई विद्यालयों ने बाक्स को कूड़ेदान में फेंक दिया है। जबकि, पूर्व में कई बार विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।
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मनचले करते हैं परेशान
स्कूल आने-जाने वाली छात्राओं को मनचले परेशान करते हैं। ऐसे में पूर्व में पुलिस ने छुट्टी होने पर बालिका विद्यालयों के आसपास पुलिस गश्त करवाने का निर्णय लिया था। कुछ दिन तक पुलिस स्कूलों के आसपास गश्त करती नजर आती थी, लेकिन अब यह पुलिस कर्मी भी नहीं दिखाई देते। ऐसे में मनचलों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। शिकायत के बाद भी पुलिस बेटियों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरत रही है।
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विद्यालय प्रशासन भी लापरवाह
बेटियों की सुरक्षा को लेकर पुलिस के साथ ही विद्यालय प्रशासन भी लापरवाह बना हुआ है। कई विद्यालयों ने बाक्स को खोलकर शिकायत देखने के लिए भी पुलिस से भी कभी अपील नहीं की। हालत यह है कि कई विद्यालयों से यह बाक्स अब गायब हो चुके हैं।
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विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर पुलिस गंभीरता से कार्य कर रही है। जल्द ही सभी विद्यालयों में दोबारा से शिकायत बाक्स लगाए जाएंगे। प्रत्येक माह बाक्स खोलकर उसमें आने वाली शिकायत का संज्ञान भी लिया जाएगा। इसके लिए पुलिस की टीम गठित की जाएगी।
मनीषा जोशी, अपर पुलिस अधीक्षक, कोटद्वार