अमूल्य धरोहर है तुंगनाथ एल्पाइन सेंटर

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने बैठक ली।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 03:00 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 03:00 AM (IST)
अमूल्य धरोहर है तुंगनाथ एल्पाइन सेंटर
अमूल्य धरोहर है तुंगनाथ एल्पाइन सेंटर

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के उत्तर भारत क्षेत्र के लिए गठित रीजनल कम फैसिलिटेशन सेंटर के कंसलटिग ऑफिसर प्रो. डीआर नाग ने विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप शोध केंद्र हैप्रक संस्थान और संस्थान के तुंगनाथ स्थित सेंटर का निरीक्षण किया।

उन्होंने कहा कि जड़ी बूटियों के संरक्षण और शोध के लिए समुद्र तल से 3400 मीटर की ऊंचाई पर वर्ष 1977 में पद्मश्री प्रो. आदित्य नारायण पुरोहित के प्रयासों से स्थापित किया गया एल्पाइन शोध सेंटर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए एक अमूल्य धरोहर होने के साथ ही बहुमूल्य विरासत भी है। कहा कि तुंगनाथ के इस एल्पाइन शोध स्टेशन को वैज्ञानिक पर्यटक केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।

हैप्रक संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ विचारों को साझा करते हुए प्रो. नाग ने कहा कि विलुप्त हो रहे औषधीय पादपों के बीज और पौध तैयार कर कलस्टर खेती के रूप में बढ़ावा देना चाहिए।

इस अवसर पर हैप्रक संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजयकांत पुरोहित, संस्थान के निदेशक प्रो. एआर नौटियाल, शोध प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. एमसी नौटियाल मौजूद रहे।

इसरो के साथ संयुक्त अध्ययन

गढ़वाल विवि के हैप्रक संस्थान के वैज्ञानिक इसरो अहमदाबाद के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर मौसम परिवर्तन से जड़ी बूटियों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर शोध अध्ययन भी कर रहे हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजयकांत पुरोहित ने कहा कि इसरो के साथ इस संयुक्त शोध अध्ययन की मॉनिटरिग का कार्य तीन साल तक चलेगा। जिसमें जड़ी बूटी पौधों के विकास का भी अध्ययन किया जा रहा है।

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