बिना चीरफाड़ के होम्योपैथी से तीन बड़ी पथरी बाहर निकाली
बिना चीरफाड़ के ही एक महिला रोगी की पेशाब की थैली से तीन बड़े आकार की पथरियां बाहर निकल गई। होम्योपैथी के कारगर उपचार से उपजिला अस्पताल श्रीनगर में यह संभव हुआ जबकि बेस अस्पताल के सर्जरी विभाग में दिखाने पर खंडाह निवासी 58 वर्षीया सुंदरी देवी को कह दिया गया था कि आपरेशन से ही यह पथरी बाहर निकाली जा सकती है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: बिना चीरफाड़ के ही एक महिला रोगी की पेशाब की थैली से तीन बड़े आकार की पथरियां बाहर निकल गई। होम्योपैथी के कारगर उपचार से उपजिला अस्पताल श्रीनगर में यह संभव हुआ, जबकि बेस अस्पताल के सर्जरी विभाग में दिखाने पर खंडाह निवासी 58 वर्षीया सुंदरी देवी को कह दिया गया था कि आपरेशन से ही यह पथरी बाहर निकाली जा सकती है।
खंडाह निवासी महिला रोगी सुंदरी देवी पेट में दर्द रहने के साथ ही पेशाब बार-बार आने की समस्या से जूझ रही थी। देहरादून, ऋषिकेश, श्रीनगर अस्पतालों में चिकित्सकों को दिखाने और अल्ट्रासाउंड करने पर डाक्टरों ने पाया कि उनकी पेशाब की थैली में काफी बड़े-बड़े साइज की तीन पथरी हैं। हर अस्पताल के सर्जन ने आपरेशन से ही पथरी से निजात दिलाने की बात कही। लेकिन, महिला किसी भी स्थिति में आपरेशन नहीं करवाना चाहती थी। तभी उन्हें उपजिला अस्पताल श्रीनगर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डा. शैलेंद्र ममगाई के बारे में पता चला। डा. शैलेंद्र ममगाईं ने उपजिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट डा. रचित गर्ग से जब महिला का अल्ट्रासाउंड करवाया तो उनकी पेशाब की थैली में 40 एमएम की एक और 35-35 एमएम की दो कुल तीन पथरियां मिलीं। बिना चीरफाड़ के ही होम्योपैथी दवा से डा. शैलेंद्र ममगाईं ने महिला का उपचार शुरू कर दिया गया। लगभग डेढ़ महीने के अंतराल में ही तीनों बड़ी पथरियां बिना आपरेशन के बाहर निकल गई। डा. शैलेंद्र ममगाईं का कहना है कि पथरी के इलाज के साथ ही जोड़ों के दर्द के इलाज का भी होम्योपैथी में बहुत कारगर उपचार है। सही समय पर चिकित्सक को दिखाने और पूरा उपचार कराने से रोगी को लाभ मिलता है। होम्योपैथी दवा से कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है।