Water Conservation: वर्षा जल के संरक्षण को बना दिए दस हजार जल तलैया, कलम सिंह नेगी के प्रयासों से रिचार्ज हुए प्राकृतिक जलस्रोत

Water Conservation थलीसैंण ब्लाक के ग्राम गाडखर्क निवासी सच्चिदानंद भारती के नेतृत्व में शुरू हुए पाणी राखो आंदोलन ने ग्राम भटबौ मल्ला निवासी कलम सिंह नेगी के जीवन में कुछ ऐसा प्रभाव डाला कि आज भी वे क्षेत्र में जल संरक्षण की मुहिम से आमजन को जोड़ रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 08:20 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 08:20 AM (IST)
Water Conservation: वर्षा जल के संरक्षण को बना दिए दस हजार जल तलैया, कलम सिंह नेगी के प्रयासों से रिचार्ज हुए प्राकृतिक जलस्रोत
ग्राम भटबौ मल्ला में बनाई गई जल तलैयाओं की सफाई में जुटे कलम सिंह व अन्य युवा।

अजय खंतवाल, कोटद्वार। Water Conservation 'जब हम जल को जीवन देंगे, तभी हमें जल से जीवन मिलेगा', इस पंक्ति ने थलीसैंण में उस आंदोलन को जन्म दिया, जिसने ब्लाक के कई गांवों की किस्मत बदल दी। ब्लाक के ग्राम गाडखर्क निवासी सच्चिदानंद भारती के नेतृत्व में शुरू हुए 'पाणी राखो' आंदोलन ने ग्राम भटबौ मल्ला निवासी कलम सिंह नेगी के जीवन में कुछ ऐसा प्रभाव डाला कि आज भी वे क्षेत्र में जल संरक्षण की मुहिम से आमजन को जोड़ रहे हैं। कलम सिंह बीते 20 साल में ग्रामीणों के सहयोग से दस हजार से अधिक जल तलैया बना चुके हैं। यह मुहिम आज भी जारी है।

वर्ष 1981 से 1990 के बीच एक समय ऐसा भी आया, जब पौड़ी जिले के उफरैंखाल (थलीसैण) क्षेत्र के विभिन्न गांवों में प्राकृतिक जलस्रोत सूखने लगे। इससे नदियों का जल स्तर भी काफी घट गया। जाहिर है खेती पर भी इसका असर पड़ना ही था। ऐसे में ग्राम गाडखर्क निवासी सच्चिदानंद भारती ने 'पाणी राखो' आंदोलन के तहत ग्रामीणों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करना शुरू किया। इसी दौरान राजकीय इंटर कालेज उफरैंखाल में 12वीं कक्षा का छात्र कलम सिंह उनके संपर्क में आया और फिर उनके जीवन की धारा बदल गई। कमल सिंह ने गैंती-फावड़ा उठाया और गांव से कुछ दूर फेडुलगाड (कुंदनपुर) में अपने सूखे खेतों में पुन: हरियाली बिखेरने की कवायद शुरू कर दी।

इसके तहत कलम सिंह ने खेतों से लगे जंगल में जल तलैया (कढ़ाहीनुमा गड्ढे) खोदने शुरू किए। जल्द ही अन्य ग्रामीण भी इस मुहिम का हिस्सा बन गए और कुछ ही दिनों में फेडुलगाड के जंगल में एक हजार जल तलैया बना दी गईं। फिर बरसात आई तो जल तलैया पानी से लबालब भर गईं और अगले कुछ महीनों में सूखे खेतों में हरियाली लौटने लगी। भटबौ मल्ला से शुरू हुई इस मुहिम से कलम सिंह ने दुलमोट, उल्याणी, जंदरिया, कफलगांव, मनियार, उखल्यूं आदि गांवों को भी जोड़ा। अभी तक कलम सिंह के दिशा-निर्देशन में इन गांवों में दस हजार से अधिक जल तलैया तैयार हो चुकी हैं। जो बारहों महीने धरा को सींच रही हैं।

राजमिस्त्री का कार्य करते हैं कलम सिंह

ग्राम भटबौ निवासी कलम सिंह के पिता सालक सिंह नेगी राजमिस्त्री थे। कलम सिंह भी कई मर्तबा उनके साथ मकान बनाने जाया करते थे। करीब दस वर्ष पूर्व पिता निधन के बाद कलम सिंह ने उनकी इस विरासत को संभाला और आज भी राजमिस्त्री का कार्य कर परिवार का लालन-पालन कर रहे हैं। इसके अलावा वह बिजली फिटिंग का कार्य भी करते हैं।

सिंचाई के लिए आसमान की ओर नहीं ताकते ग्रामीण

भटबौ मल्ला निवासी हीरा सिंह नेगी कहते हैं कि जल तलैया बनने के बाद खेतों में पानी के लिए अब आसमान की ओर नहीं ताकना पड़ता। वर्षभर जल तलैया पानी से लबालब रहती हैं। इसी गांव के मंगल सिंह कहते हैं कि 'पाणी राखो' आंदोलन की बदौलत हमने जल को सहेजना सीखा। आज यही जल हमें जीवन दे रहा है।

राजेंद्र प्रसाद ममगाईं (तहसीलदार, थलीसैंण) का कहना है कि उफरैंखाल क्षेत्र के गांवों में जल संरक्षण को लेकर ग्रामीण काफी जागरूक हैं। कलम सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने जगह-जगह बड़ी संख्या में जल तलैया बनाकर वर्षाजल का संरक्षण किया है। इससे क्षेत्र में प्राकृतिक स्रोत बारहों महीने रिचार्ज रहते हैं।

यह भी पढ़ें-जल की हर बूंद सहेजने को संग खड़े हुए जलप्रहरी, दैनिक जागरण के वेबिनार में जलप्रहरियों ने साझा किए अपने अनुभव

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी