तो प्राकृतिक जलस्रोत हो सकेंगे संरक्षित

योजना धरातल पर साकार हुई तो आने वाले दिनों में मनरेगा से प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों का संरक्षण हो सकेगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Jul 2021 03:00 AM (IST) Updated:Sat, 03 Jul 2021 03:00 AM (IST)
तो प्राकृतिक जलस्रोत हो सकेंगे संरक्षित
तो प्राकृतिक जलस्रोत हो सकेंगे संरक्षित

गुरुवेंद्र नेगी, पौड़ी

योजना धरातल पर साकार हुई तो आने वाले दिनों में मनरेगा से प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों का संरक्षण हो सकेगा। इतना ही नहीं जल संरक्षण एवं संव‌र्द्धन के लिहाज से बरसाती जल को संरक्षित कर इसे बागवानी, कृषि के कार्य में प्रयोग में लाया जा सकेगा। फिलवक्त जनपद में विकास विभाग की ओर से इस दिशा में कार्य शुरू करवा दिया गया है। मुहिम रंग लाई तो आने वाले दिनों में जल संचय के लिहाज से यह योजना काफी कारगर साबित होगी।

जनपद में कई प्राकृतिक पेयजल स्रोतों की पानी की धार संरक्षण के अभाव में सूखने लगी है। खासकर गर्मियों के मौसम में यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परेशानी का सबब भी बनने लग जाती है। अब जल संरक्षण एवं संव‌र्द्धन के तहत प्राकृतिक पेयजल स्रोतों को संवारने की उम्मीद जगी है। विकास विभाग की ओर से वर्ष 2021-22 के लिए बनाई गई योजना में जल संचय के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर टैंक, चाल-खाल, चेकडैम आदि को शामिल किया गया है। ग्रामीण स्तर पर पचास हजार से एक लाख की धनराशि मनरेगा के तहत व्यय की जाएगी। विकास विभाग के मुताबिक जनपद में अब तक करीब तीन सौ गांवों में इस दिशा में मनरेगा के तहत कार्य शुरू करवा दिया गया है। इस मुहिम में आमजन को भी जागरूक होकर जल संचय के क्षेत्र में बेहतर कार्य करना होगा। फिलवक्त मनरेगा के तहत जल संचय को लेकर शुरू की गई इस पहल को आने वाले समय के लिए काफी कारगर माना जा रहा है।

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ऐसे कर सकते हैं आवेदन:

जिला विकास अधिकारी वेदप्रकाश के मुताबिक जनपद के किसी भी गांव का व्यक्ति जल संचय के लिहाज से मिलने वाले वाटर टैंक, रैन वाटर हार्वेस्टिग टैंक, चेकडाम आदि के लिए अपनी ग्राम पंचायत में आवेदन कर सकता है। बाद में यह आवेदन जनपद स्तर पर संस्तुति के बाद संबंधित ग्राम पंचायत को भेज दिया जाता है।

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जल संचय से कर सकते हैं बागवानी:

मनरेगा के तहत बनने वाले पानी के टैंक का प्रयोग ग्रामीण बागवानी के लिए कर सकेगा। इसके अलावा वह अपने व्यक्तिगत प्रयोग में भी इसे ला सकेगा। इसके पीछे की मंशा बरसाती पानी को संचय कर इसे प्रयोग में लाना है। वर्ष 2021-22 के लिए जनपद में तालाब, चाल-खाल, फार्म पॉंड, चैक डैम, वाटर रिचार्ज पिट आदि के लिए दो लाख से अधिक का लक्ष्य रखा गया है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी भवनों में भी जल संचय के लिए रैन हार्वेस्टिग के तहत कार्य होंगे।

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जनपद में जल संरक्षण एवं संव‌र्द्धन की दिशा में कार्य शुरू करवा दिया गया है। इसमें प्राकृतिक जल स्त्रोत संरक्षण के अलावा जल संचय के लिहाज से अन्य कार्य होने हैं। सभी कार्य मनरेगा से होंगे। आने वाले दिनों में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।

आशीष भटगाई, मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी गढ़वाल

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