खुलने से पहले ही खंडहर बना पर्यटन विभाग का रिजार्ट

दिन बीते महीने बीते और अब इंतजार में चार वर्ष बीत गए हैं। लेकिन उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के उस रिजार्ट के दरवाजे पर्यटकों के लिए आज तक नहीं खुले जिसे जिम कार्बेट के नाम पर खोला गया था। देखरेख के अभाव में 18 करोड़ की लागत से बनाया गया यह रिसोर्ट खंडहर में तब्दील होने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 05:21 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 05:21 PM (IST)
खुलने से पहले ही खंडहर बना पर्यटन विभाग का रिजार्ट
खुलने से पहले ही खंडहर बना पर्यटन विभाग का रिजार्ट

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: दिन बीते, महीने बीते और अब इंतजार में चार वर्ष बीत गए हैं। लेकिन, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के उस रिजार्ट के दरवाजे पर्यटकों के लिए आज तक नहीं खुले, जिसे जिम कार्बेट के नाम पर खोला गया था। देखरेख के अभाव में 18 करोड़ की लागत से बनाया गया यह रिसोर्ट खंडहर में तब्दील होने लगा है।

जिम कार्बेट नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार 'कोटद्वार' में खोलने की मांग पर सरकार ने 2010 से कोटद्वार में पर्यटकों के लिए सुविधाएं जुटानी शुरू की। इस क्रम में 2014 में कोटद्वार में कार्बेट टाइगर रिजर्व का रिसेप्शन सेंटर खोला गया। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2015 से शासन ने कोटद्वार में 'डेवलपमेंट आफ नार्थ एंट्री इन कार्बेट सब प्रोजेक्ट' शुरू किया। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने एडीबी के पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत करीब 18 करोड़ की लागत से इस प्रोजेक्ट को पूरा किया। प्रोजेक्ट के तहत पर्यटकों के लिए आठ काटेज बनाए गए। साथ ही सभागार और कार्बेट बुकिग केंद्र भी बनाया गया। इसके अलावा किचन, प्रेक्षागृह, फूड कोर्ट, आर्टिफिशियल क्लाइंबिग वाल सहित कई अन्य निर्माण किए गए। जनवरी 2016 तक कार्य पूर्ण होना था, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते 2018 में निर्माण कार्य पूर्ण हो गया। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी अभी तक यह रिजार्ट पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है।

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यह है वर्तमान स्थिति

बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान निष्प्रयोज्य पड़े इस रिजार्ट को कोविड केयर सेंटर के रूप में प्रयोग में लाया गया। वर्तमान में भी यह रिजार्ट कोविड केयर सेंटर के रूप में स्वास्थ्य महकमे के पास है। इधर, निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद कार्यदायी संस्था ने भी रिजार्ट की ओर ध्यान देना बंद कर दिया। नतीजा, यह बदहाल पड़ा है और खंडहर में तब्दील होने लगा है।

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रिजार्ट का संचालन पीपीपी मोड पर किया जाना है। पूर्व में कई बार इसके लिए निविदाएं निकाली गई, लेकिन कोई बोली नहीं आई। रिजार्ट को पीपीपी मोड पर दिए जाने के संबंध में प्रयास जारी हैं।

पूनम चंद, सहायक निदेशक, पर्यटन विभाग

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