योजना कागजों में, फूंक दिए लाखों

वाह रे सरकारी सिस्टम! योजना को मंजूरी मिलेगी अथवा नहीं इसका अभी कोई पता नहीं। बावजूद इसके योजना के लिए लाखों रुपये खर्च कर दिए। मामला कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत गिवईं स्त्रोत में वन भूमि पर प्रस्तावित पर्वतीय बस अड्डे से जुड़ा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 03:00 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 05:13 AM (IST)
योजना कागजों में, फूंक दिए लाखों
योजना कागजों में, फूंक दिए लाखों

जागरण संवाददाता, कोटद्वार:

वाह रे सरकारी सिस्टम! योजना को मंजूरी मिलेगी अथवा नहीं, इसका अभी कोई पता नहीं। बावजूद इसके योजना के लिए लाखों रुपये खर्च कर दिए। मामला कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत गिवईं स्त्रोत में वन भूमि पर प्रस्तावित पर्वतीय बस अड्डे से जुड़ा है। पर्वतीय बस अड्डे के लिए वन भूमि का हस्तांतरण किया जाना है, जिसकी प्रक्रिया वर्तमान में शुरू नहीं है। इधर, सरकारी सिस्टम ने बस अड्डे तक सड़क पहुंचाने के नाम पर लाखों की धनराशि व्यय कर दी।

कोटद्वार क्षेत्र में पार्किंग स्थल की कमी यातायात के सुचारू संचालन में बड़ी बाधा है। पार्किंग स्थल न होने के कारण चालक अपने वाहनों को सड़क किनारे खड़ा कर देते हैं, जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। सबसे खराब स्थिति स्टेशन रोड की है, जहां से परिवहन निगम के साथ ही गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू) की बसों का संचालन होता है। स्थान की कमी को देखते हुए जीएमओयू ने क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के समक्ष पर्वतीय बस अड्डे के लिए भूमि की मांग रखी। डॉ. रावत ने गिवईं स्त्रोत पुल के समीप स्थित करीब पांच बीघा वन भूमि को बस अड्डे के लिए प्रस्तावित कर दिया। साथ ही बस अड्डे, शौचालय, सुरक्षा दीवार निर्माण के लिए जिला खनिज न्यास निधि से पचास लाख की धनराशि स्वीकृत कर दी। हालांकि, यह धनराशि अभी जारी नहीं की गई है।

इधर, प्रस्तावित पर्वतीय बस अड्डे को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए लाखों की विधायक निधि से सड़क का निर्माण कर दिया है। निर्माण की शुरुआत गिवईं गदेरे में बाढ़ सुरक्षा दीवार निर्माण से हुई और बाद में इस कार्य को बढ़ाते हुए सड़क का निर्माण कर दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि जिस बस अड्डे के नाम पर सड़क का निर्माण कर दिया, उसके निर्माण को अभी तक भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई है। ऐसे में बस अड्डे से पूर्व सड़क का निर्माण किया जाना वन महकमे की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है। 'वन भूमि हस्तांतरण को लेकर जीएमओयू की ओर से प्रस्ताव मिला है, जिसे ऑनलाइन किया जाना है। वन भूमि हस्तांतरण से पूर्व सड़क निर्माण का मामला संज्ञान में नहीं है। पूरे मामले की जांच की जाएगी।

दीपक कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी, लैंसडौन वन प्रभाग' 'डॉ.हरक सिंह रावत के निर्देश पर पर्वतीय बस अड्डे की भूमि से संबंधित प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया वन विभाग की ओर से की जानी है, जो कि फिलहाल शुरू नहीं हो पाई है।

जीत सिंह पटवाल, अध्यक्ष जीएमओयू' संदेश : 28 कोटपी 1

कोटद्वार में गिवईं स्त्रोत पुल से वन भूमि की ओर विधायक निधि से बनाई गई सड़क

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