वन कर्मियों ने जलाई गुर्जरों की झोपड़ी, जनप्रतिनिधियों ने किया प्रदर्शन

वन गुर्जर युवा संगठन और जनप्रतिनिधियों ने वन कर्मियों पर जंगल में रह रहे गुर्जरों की झोपड़ी जलाने का आरोप लगाते हुए लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज कार्यालय में धरना दिया।

By Edited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 04:41 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 11:20 AM (IST)
वन कर्मियों ने जलाई गुर्जरों की झोपड़ी, जनप्रतिनिधियों ने किया प्रदर्शन
वन कर्मियों ने जलाई गुर्जरों की झोपड़ी, जनप्रतिनिधियों ने किया प्रदर्शन

कोटद्वार, जेएनएन। वन गुर्जर युवा संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वन कर्मियों पर जंगल में रह रहे गुर्जरों की झोपड़ी जलाने का आरोप लगाते हुए लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज कार्यालय में धरना प्रदर्शन किया। सदस्यों ने वन विभाग से पीड़ित गुज्जर को मुआवजा देने के साथ ही दोषी वन कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो जनप्रतिनिधि व वन गुज्जर एकजुट होकर आंदोलन करेंगे। 

सुबह वार्ड पार्षद लीला कर्णवाल के नेतृत्व में गुर्जरों ने रेंज कार्यालय में पहुंचकर वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया। आरोप है कि वन गुर्जर मस्तू अपने चार बेटों कासिम, यामीन, गुलामनवी और सुलेमान के साथ घराट-मुंडला मार्ग पर करीब छह माह से झोपड़ी बनाकर रह रहा है। कोटद्वार रेंज के कुछ वन कर्मी मौके पर पहुंचे और बिना नोटिस दिए झोपड़ी खाली करने को कहने लगे। 

आरोप है कि जब उन्होंने विरोध किया तो वन कर्मियों ने झोपड़ी में आग लगा दी, जिससे झोपड़ी के अंदर रखी नगदी व सामान जलकर खाक हो गई। साथ ही वन कर्मियों ने उनके साथ मारपीट करते हुए उन्हें जंगल से बाहर भगा दिया। 

रेंजर पर लगाया अभद्रता का आरोप 

पार्षद लीला कर्णवाल ने कोटद्वार रेंज के रेंजर व शिकायत लेकर पहुंचे जनप्रतिनिधि व वन गुर्जरों के साथ अभद्रता करने का आरोप लगया है। कहा कि जनप्रतिनिधि पूरी शालीनता से रेंजर को अपनी बात बताने गए थे, लेकिन उन्होंने अभद्रता करते हुए बात करने से भी इन्कार कर दिया। 

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वन गुर्जर के पास नहीं था परमिट 

लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अखिलेश तिवारी के मुताबिक, वन गुज्जर द्वारा वन क्षेत्र में अनाधिकृत रूप से झोपड़ी बनाई जा रही थी। जिस स्थान पर झोपड़ी बनाई गई, वहां किसी का कोई परमिट नहीं हैं। जिस जगह परमिट जारी किए गए हैं, वे भी शीतकाल प्रवास के लिए दिए गए थे। जिस वन गुज्जर द्वारा झोपड़ी बनाई गई, उसके नाम ग्वालगढ़ में भी कोई परमिट नहीं है। 

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