ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की स्थिति दयनीय: डॉ. नेगी

मनोहर बिष्ट, पौड़ी: उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने जनपद पौड़ी में पलायन की स्थिति क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 03:04 AM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 03:04 AM (IST)
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की स्थिति दयनीय: डॉ. नेगी
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की स्थिति दयनीय: डॉ. नेगी

मनोहर बिष्ट, पौड़ी: उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने जनपद पौड़ी में पलायन की स्थिति को लेकर तस्वीर साफ कर दी है। जनपद में पलायन की स्थिति को लेकर आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जनपद में जनसंख्या वृद्धि दर तीव्रता से घटने के साथ ही ऋणात्मकता की ओर बढ़ रही है। वहीं जिले में 29 फीसद जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। जनपद के तीन शहरों में ही जनसंख्या वृद्धि बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या में गिरावट -5 फीसद से भी ज्यादा है। भौगोलिक क्षेत्रफल के रूप में जनपद प्रदेश के 10 प्रतिशत भूभाग में फैला हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद में जनपद की भागीदारी मात्र 4 प्रतिशत ही है।

गुरुवार को उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग मुख्यालय में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें कृषि, उद्यान, पशुपालन, पर्यटन, परिवहन, उद्योग, ग्रामीण विकास, पंचायतीराज विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ ग्राम स्तर पर विकास को लेकर मंथन किया गया। इस मौके पर उपाध्यक्ष डा. शरद ¨सह नेगी ने बताया कि जनपद पौड़ी में पलायन की स्थिति अब पूरी तरह से साफ हो गई है। कहा कि सरकार को जनपद पौड़ी में पलायन को थामने के लिए एक माह के भीतर सिफारिश सौप दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार जनपद में कुल जनसंख्या 16 प्रतिशत है। इसमें 3.27 लाख पुरुष और 3.61 लाख महिलाएं हैं। जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या में तेजी से गिरावट आई है। पौड़ी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में -5.37 प्रतिशत की दर से जनसंख्या में घटी है। डॉ. नेगी ने कहा कि जनपद में 25 से 59 वर्ष के बीच के व्यक्ति मात्र 39 फीसद ही रह गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि व मजदूरी से 38 प्रतिशत आय हो रही है। वर्ष 2004-05 में कृषि व बागवानी से 24 प्रतिशत आय होती थी, जो वर्ष 20013-14 में घटकर 15 प्रतिशत रह गई है। भौगोलिक क्षेत्रफल के लिहाज से जनपद पौड़ी 10 प्रतिशत क्षेत्र में फैला हुआ है। आबादी मात्र 16 प्रतिशत है। सकल घरेलू उत्पाद में जनपद की भागीदारी सिर्फ 4.23 प्रतिशत ही है। डॉ. नेगी ने बताया कि जनपद के 30 गांवों को मॉडल गांव के रुप में चयनित किया है। उनके साथ ही जनपद के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण विकास को लेकर तेजी से कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर अपर आयुक्त ग्राम्य विकास डा. आरएस पोखरिया, शोध अधिकारी गजपाल चंदानी, यंग प्रोफेशनल गो¨वद ¨सह धामी, डीएचओ डा. नरेंद्र कुमार, एआरटीओ द्वारिका प्रसाद, सीएओ देवेंद्र राणा, डा. अशोक कुमार आदि मौजूद थे। तीन शहरों में बढ़ी है जनसंख्या:

पौड़ी: जनपद में औसत रुप से जनसंख्या में गिरावट आ रही है। लेकिन जनपद के श्रीनगर, पौड़ी व कोटद्वार में जनसंख्या में 25.40 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। तीन विकास खंडों में भी हो रही जनसंख्या वृद्धि:

पौड़ी: जनपद के तीन विकास खंड ऐसे हैं जिनमें जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। विकास खंड थलीसैण, खिर्सू व दुगड्डा में विकास दर बढ़ी है। रोचक यह है कि विकास खंड खिर्सू व दुगड्डा में दो बड़े शहर शामिल हैं। लेकिन थलीसैण ऐसा विकास खंड है। जिसमें कोई शहर शामिल नहीं है, बावजूद इसके जनसंख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। थलीसैण में +5.36 प्रतिशत, दुगड्डा में +2.3 प्रतिशत और खिर्सू में सबसे ज्यादा +11.4 प्रतिशत शामिल है। जहरीखाल में सबसे ज्यादा घटी है जनसंख्या:

पौड़ी: जनपद में विकास खंड जहरीखाल में सबसे ज्यादा जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है। एकेश्वर व पोखड़ा दूसरे और कल्जीखाल व यमकेश्वर ब्लाक तीसरे स्थान पर हैं। जनपद के विकास खंड कोट में -7.13, कल्जीखाल में -12.59, पौड़ी में -5.87, पाबौ में -7.1, वीरोंखाल में -11.33, द्वारीखाल में -9.46, जहरीखाल में -16.13, एकेश्वर में -14.13, रिखणीखाल में -11.95, यमकेश्वर में -12.88, नैनीडांडा में -9.25 और पोखड़ा में -14.54 प्रतिशत की दर से जनसंख्या घटी है। 59 फीसद लोगों की आय है पांच हजार से कम:

पौड़ी: जनपद पौड़ी में 59 प्रतिशत जनसंख्या की आय पांच हजार से कम है। 23 प्रतिशत परिवारों की आय 5 से 10 हजार रुपए हैं।

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