बदहाल हुआ पार्क, नींद में निगम
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: वर्षो पूर्व शहरवासियों को सुकून देने वाला बुद्धा पार्क अपनी बदहाली पर आंसू ब
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: वर्षो पूर्व शहरवासियों को सुकून देने वाला बुद्धा पार्क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पार्क स्थल में लगाए गए झूले व बैंच भी पूरी तरह टूट चुके हैं। जगह-जगह उगी झाड़ियों के कारण शहर के बुजुर्ग व बच्चों ने पार्क में घूमना भी छोड़ दिया है। हालत यह है कि शाम ढ़लते ही पार्क में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है।
करीब 70 के दशक में बदरीनाथ मार्ग स्थित पार्क में प्रख्यात मूर्तिकार अवतार सिंह पंवार ने भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा का निर्माण किया था, जिसके बाद इस पार्क को बुद्धा पार्क का नाम दिया गया। पहले इस पार्क की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती थी। पार्क के आसपास छांवदार पेड़ शहरवासियों को सुकून देते थे, लेकिन अब नगर निगम की लापरवाही के कारण यह पार्क बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। पार्क का सौंदर्यीकरण करवाने के लिए वर्ष 2011 में 12 लाख व 2016 में 25 लाख रुपये भी खर्च किए गए। उक्त धनराशि से पार्क के आसपास दीवार निर्माण के साथ ही विभिन्न प्रकार के झूले, बैंच व अमेरिकन लान घास लगाई गई। इसके बाद पार्क की खूबसूरती एक बार फिर बढ़ गई थी। लेकिन अब धीरे-धीरे पार्क दोबारा बदहाल स्थिति में पहुंच गया है। पार्क में लगाए गए झूले व कूड़ेदान असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिए हैं। एक माली के भरोसे पार्क
नगर निगम में छह पार्क हैं। ऐसे में केवल एक माली के भरोसे ही यह पार्क चल रहे हैं। स्थिति यह है कि अधिकांश पार्कों में लगाए गए छांवदार पौधे सूख चुके हैं। पार्कों में जगह-जगह झाड़ियां उगी हुई हैं। वर्तमान में नगर निगम को करीब पांच मालियों की आवश्यकता है।
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बुद्धा पार्क कोटद्वार शहर का सबसे पुराना पार्क है। इसकी स्थिति में सुधार के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलते ही पार्क के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
..हेमलता नेगी, महापौर, नगर निगम कोटद्वार