धान और उड़द की फसल तहस-नहस
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: तीन दिन पहले जिस धान की लहलहाती फसल को देख काश्तकारों की आंखें चमक उठी थी, आ
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: तीन दिन पहले जिस धान की लहलहाती फसल को देख काश्तकारों की आंखें चमक उठी थी, आज वही फसल खेतों में बरबाद पड़ी है। दरअसल, दो दिन से लगातार हुई बारिश के कारण धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है। क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा खेत हो, जहां धान की फसल को नुकसान न हुआ हो। फसल बरबाद होने से काश्तकारों की चिता बढ़ने लगी है।
काश्तकारों को इस बार धान व उड़द की बेहतर फसल होने की उम्मीद थी। लहलहाती धान की फसल तैयार होने के बाद उसे काटने की तैयारी में थी, लेकिन उससे पहले ही बारिश ने काश्तकारों के अरमानों पर पानी फेर दिया। काश्तकार सोहन लाल और श्याम सिंह ने बताया कि खेती से ही उनके परिवार की आर्थिकी चलती है। परिवार ने बड़ी मेहनत से धान की फसल लगाई थी, लेकिन बारिश ने उसे तहस-नहस कर दिया है। फसल बरबाद होने से परिवार के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। सनेह क्षेत्र के काश्तकार सोहन बुड़ाकोटी व भाबर क्षेत्र के काश्तकार विनोद बहुखंडी, जगत सिंह और गौरव ने बताया कि उनके क्षेत्र में आए दिन हाथी फसल नष्ट कर देता था। इस बार उन्होंने दिन-रात खेतों की रखवाली कर हाथी से फसल को बचाया, लेकिन बारिश के कहर ने फसल को नुकसान पहुंचा दिया।
कटी फसल भी हुई बरबाद
क्षेत्र में धान व उड़द की फसल अपने अंतिम चरण में थी। ऐसे में बीस प्रतिशत काश्तकारों ने फसल को काटकर उसे खेतों में बिछाया हुआ था, लेकिन बारिश से वह नष्ट हो गई है। काश्तकारों ने प्रदेश सरकार से फसल के नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। कहा कि खेती नष्ट होने से उनके समक्ष परिवार की आर्थिकी चलना भी मुश्किल हो गया।