फाइलों में फंसी जमीन, खतरे में जिदगी

सरकार और सरकार के नुमाइंदों की घोषणाएं किस कदर हवाई होती हैं उत्तराखंड परिवहन निगम के कोटद्वार डिपो को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। डिपो की कार्यशाला निर्माण के लिए पिछले पांच वर्षों से भूमि की तलाश चल रही है लेकिन आज तक यह तलाश खत्म नहीं हुई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 03:00 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 03:00 AM (IST)
फाइलों में फंसी जमीन, खतरे में जिदगी
फाइलों में फंसी जमीन, खतरे में जिदगी

संवाद सहयोगी, कोटद्वार: सरकार और सरकार के नुमाइंदों की घोषणाएं किस कदर हवाई होती हैं, उत्तराखंड परिवहन निगम के कोटद्वार डिपो को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। डिपो की कार्यशाला निर्माण के लिए पिछले पांच वर्षों से भूमि की तलाश चल रही है, लेकिन आज तक यह तलाश खत्म नहीं हुई। इधर, डिपो कार्यालय आज भी दशकों पुराने भवन में चल रहा है, जहां कर्मी जान जोखिम में डालकर कार्य करने को विवश हैं।

कोटद्वार में परिवहन निगम का डिपो वर्ष 1948 में खुला था। भूमि के अभाव में डिपो का बस अड्डा नहीं बन पाया और बसों का संचालन स्टेशन रोड पर बनी डिपो की कार्यशाला से शुरू हुआ, जो आज भी बदस्तूर जारी है। वर्तमान स्थिति यह है कि कोटद्वार डिपो के पास 55 बसों का बेड़ा है। लगातार बढ़ रहे बसों के इस बेड़े को खड़ा करने के लिए कार्यशाला में पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में अधिकांश बसें सड़क पर ही खड़ी रहती हैं। समस्या को देखते हुए वर्ष 2010 में निगम ने कार्यशाला निर्माण के लिए खूनीबड़ में 2650 वर्गमीटर भूमि चयनित कर दी थी। योजना थी कि चयनित भूमि पर कार्यशाला खोली जाएगी और वर्तमान कार्यशाला में डिपो कार्यालय बनाया जाएगा, लेकिन पिछले दस वर्षों से आज तक कार्यशाला का चयन नहीं हो पाया है।

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टपक रहा भवन

कोटद्वार परिवहन निगम कोटद्वार डिपो का कार्यालय जिस भवन में संचालित हो रहा है, वह जर्जर हाल है। स्थिति यह है कि बरसात होने पर भवन के कमरों में पानी टपकने लगता है। ऐसे में कार्यालय में रखी फाइलों के भी खराब होने का खतरा बना रहता है। कई बार कर्मचारी खुद ही सीमेंट लेकर कमरों की मरम्मत करने में लगे रहते हैं।

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बरसात में हो जाता है पानी-पानी

कोटद्वार डिपो की कार्यशाला में पानी की निकासी के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए हैं। नतीजा, बारिश होने पर सड़कों से बहने वाला पानी डिपो भवन के प्रथम तल पर जमा हो जाता है। कार्यशाला पानी भरने से कार्य भी प्रभावित होने लगता है। ऐसे में कर्मचारियों को संक्रामक बीमारियों का भी खतरा बना रहता है।

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पूर्व में उच्चाधिकारी कोटद्वार रोडवेज डिपो का निरीक्षण कर चुके हैं। भवन और कार्यशाला बदहाल हो चुके हैं। इसके लिए पूर्व में शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया है।

टीकाराम आदित्य, एजीएम, कोटद्वार डिपो

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