कांडीखाल की बंजर भूमि पर लहलहाएगा जंगल

श्रीनगर से लगभग 30 किलोमीटर दूर टिहरी रोड पर कांडीखाल मार्ग पर वाटिका बनाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 10:52 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 06:11 AM (IST)
कांडीखाल की बंजर भूमि पर लहलहाएगा जंगल
कांडीखाल की बंजर भूमि पर लहलहाएगा जंगल

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर से लगभग 30 किलोमीटर दूर टिहरी रोड पर कांडीखाल की बंजर भूमि पर बहुद्देश्यीय वृक्षों वाला जंगल तैयार होने जा रहा है।

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वानिकी एवं प्राकृतिक संसाधन विभाग ने ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 'अपना वन' आर्थिक मॉडल की योजना को मूर्त रूप देना शुरू कर दिया है। वानिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार नेगी ने ग्रामीणों के सहयोग से विभाग की अन्य फैकल्टियों के साथ प्रथम चरण में एक हेक्टेयर बंजर पड़ी इस भूमि पर 15 विभिन्न प्रजातियों के 500 से अधिक पौधों का रोपण किया। इसमें गमर, बांस, चिरोंजी, जंगल जलेबी, अर्जुन, शीशम, आदि पौधों का प्रमुख रूप से रोपण किया गया। इन पौधों को वानिकी विभाग की नर्सरी में ही तैयार किया गया था।

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल द्वारा विश्वविद्यालय के शोध कार्यों को सीधे समाज से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना के तहत वानिकी विभाग ने वन योजना की शुरूआत की है। प्रो. अजीत कुमार नेगी ने कहा कि रोपित किए गए पौधों के वृक्षों की विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने के साथ ही आयुर्वेद उद्योग में भी भारी मांग है। इस आर्थिक मॉडल के माध्यम से ग्रामीणों को दस साल के उपरांत लगभग पांच लाख से अधिक की आय होने का भी अनुमान है। इस व्यवसायिक मॉडल से ग्रामीणों को आगामी 50 वर्षों तक आर्थिक लाभ भी होगा।

प्रो. नेगी ने कहा कि कुटज, बेहड़ा, फरड़, कचनार, आंवला, इमली, तेजपात जैसे आयुर्वेदिक पौधों के रोपण के साथ ही भीमल जैसे चारापत्ती वाले पेड़ों का रोपण भी अधिक संख्या में किया जाएगा, जिससे ग्रामीणों को विशेषकर महिलाओं को चारापत्ती के लिए इधर-उधर भी नहीं जाना पड़े। टिहरी दुग्ध संघ के पूर्व अध्यक्ष पदम सिंह गुसाई और पूर्व प्रधान राकेश शाह ने इस योजना को लाभदायक बताया। इस मौके पर डॉ. डीएस चौहान, डॉ. आरएस नेगी, डॉ. जेएस बुटोला, डॉ. हिमशिखा गुसाई, अजीत नैनवाल, रामप्रकाश राणा, विजय कुमार, गोविद नेगी आदि मौजूद थे।

शोधार्थियों के लिए फील्ड वर्क भी

कांडीखाल की बंजर भूमि पर 'अपना वन योजना' को लेकर गढ़वाल विवि के वानिकी विभाग और ग्रामीणों के मध्य 20 वर्षों का समझौता हुआ है। इसमें वन को विकसित करने को लेकर विवि के वैज्ञानिक हर तरह का तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग देंगे। जंगल से होने वाली आय और स्वामित्व ग्रामीणों का ही होगा। विवि के शोध छात्र 'अपना वन' में शोध कार्य करेंगे। प्रो. नेगी ने कहा कि इससे शोधार्थियों को समुदाय के बीच में कार्य करने का मौका भी मिलेगा।

--------------------- हर साल दो 'अपना वन'

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर का वानिकी विभाग इस योजना को परवान चढ़ाते हुए हर साल अन्य गांवों की बंजर भूमि पर दो 'अपना वन' विकसित करेगा। फूड, फ्यूल, फाइबर, फर्टिलाइजर फार्मेसी पर आधारित यह मॉडल है। प्रो. अजीत नेगी ने कहा कि उत्तराखंड की हजारों हेक्टेयर बंजर पड़ी असिचित भूमि का इस योजना के तहत बेहतर उपयोग भी हो सकेगा।

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