जाय हुकिल ने संभाला मोर्चा, जंगल में कैमरे लगाए
आखिरकार वन महकमे की भूल महकमे को ही भारी पड़ गई। क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति से अनजान शिकारी को आदमखोर गुलदार के सफाए का जिम्मा सौंपना महकमे को भारी पड़ा।
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: आखिरकार वन महकमे की भूल महकमे को ही भारी पड़ गई। क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति से अनजान शिकारी को आदमखोर गुलदार के सफाए का जिम्मा सौंपना महकमे को भारी पड़ा। 25 दिन बाद भी गुलदार का पता नहीं चलने पर अब महकमे ने जाय हुकिल को आदमखोर की तलाश कर उसे ढेर करने का जिम्मा सौंप दिया है।
बताते चलें कि बीती एक जुलाई को लैंसडौन वन प्रभाग की लैंसडौन रेंज के अंतर्गत ग्राम बागी निवासी पृथ्वी चंद को गुलदार ने उस वक्त निवाला बना लिया था, जब वह मवेशी चुगाने गढ़वाल वन प्रभाग की नागदेव रेंज के अंतर्गत ग्राम नौगांव के जंगलों में गए थे। हमले के बाद वन विभाग ने नौगांव के जंगल में घटनास्थल पर एक पिजरा लगा दिया, लेकिन गुलदार पिजरे में नहीं फंसा। छह जुलाई की सुबह जब गुलदार ने ग्राम कांडी के टेंट में सो रहे नेपाली श्रमिक पर हमला किया तो ग्रामीणों में दहशत फैल गई। आनन-फानन में महकमे ने गुलदार को आदमखोर घोषित कर शूटर को तैनात कर दिया। आठ जुलाई को मेरठ से आए शिकारी वन कर्मियों की टीम के साथ गुलदार की तलाश में हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और शिकारी को बैरंग लौटना पड़ा। इधर, वन महकमे ने अब पौड़ी से शिकारी जाय हुकिल को आदमखोर की तलाश कर उसे ढेर करने का जिम्मा सौंपा है। चुनौती यह है कि पांच अगस्त से पहले जाय को घने जंगलों में आदमखोर की तलाश करनी है। 42 आदमखोर गुलदार ढेर कर चुके जाय बताते हैं कि यह चुनौती भूसे के ढेर में सूई ढूंढने के समान है। बताया कि पिछले 25 दिनों में क्षेत्र में आदमखोर गुलदार की कोई गतिविधि नहीं हुई है। बताया कि क्षेत्र में कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही ग्राम कांडी के समीप पिजरा भी लगाया गया है।