मगर से दोस्ती, मछली का शिकार
वाह रे सरकारी सिस्टम! पहुंच वालों के आगे नतमस्तक और गरीबों पर कानून का चाबुक। बुधवार को कोटद्वार में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: वाह रे सरकारी सिस्टम! पहुंच वालों के आगे नतमस्तक और गरीबों पर कानून का चाबुक। बुधवार को कोटद्वार में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। प्रशासन ने खोह नदी के किनारे रेता-बजरी छान रहे पांच श्रमिकों को अवैध खनन के आरोप में दबोच लिया। हैरानी की बात यह है कि कोटद्वार से प्रतिदिन खननकारी हजारों टन उपखनिज क्षेत्र की सीमाओं से बाहर भेज रहे हैं। लेकिन, प्रशासन की ओर से इनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
कोटद्वार क्षेत्र की मालन व सुखरो नदियों में इन दिनों अवैध खनन जोरों पर है। आमजन भी अवैध खनन पर प्रशासन की चुप्पी को लेकर सवाल खड़ा करता नजर आता है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से अवैध खनन रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। वन भूमि हो अथवा राजस्व भूमि, खननकारी बेखौफ नदियों का सीना चीरते नजर आते हैं। अवैध खनन की लगातार शिकायतों के बाद भी चैन की नींद सो रहे सरकारी सिस्टम की नींद बुधवार को अचानक टूट गई। बुधवार सुबह एसडीएम योगेश मेहरा व पुलिस क्षेत्राधिकारी अनिल जोशी के दिशा-निर्देशन में अवैध खनन की रोक के लिए दो टीमें गठित कर छापेमारी शुरू कर दी गई।
उम्मीद थी कि बुधवार को पुलिस-प्रशासन की टीम खननकारियों को बड़ा झटका देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टीमें खोह नदी में पहुंची और ग्रास्टनगंज क्षेत्र में खोह नदी से रेता निकाल छान रहे पांच श्रमिकों को दबोच कोतवाली में ले आई। इन श्रमिकों का कहना था कि वे नदी से रेता निकाल उसे खच्चरों के जरिये आसपास मौजूद आबादी में चल रहे निर्माण कार्यों तक पहुंचा अपने लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर देते हैं। हालांकि, कोतवाली में इन श्रमिकों के नाम-पते नोट कर उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। इधर, एसडीएम योगेश मेहरा ने बताया कि अवैध खनन के खिलाफ प्रशासन की ओर से लगातार छापेमारी की जा रही है। बताया कि अवैध खनन में लगातार बड़े वाहनों को भी सीज किया जा रहा है।