दावानल का ग्रहण, काफल के साथ छीना रोजगार भी
काफल को पर्वतीय क्षेत्र की पहचान माना जाता है।
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: काफल को पर्वतीय क्षेत्र की पहचान माना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर यह फल कई बीमारियों को दूर कर देता है,लेकिन इस वर्ष जंगल की आग व शुष्क मौसम ने काफल की मिठास को छीन लिया। तीन माह तक ग्रामीणों की आर्थिकी का जरिया बनने वाला काफल का उत्पादन इस वर्ष केवल नाममात्र का ही हुआ।
मई व जून के महीने में जब शहरवासी भीषण गर्मी से जूझते हैं, तब पहाड़ के जंगलों में काफल का फल आकार लेता है। काफल शरीर को ठंडक प्रदान करता है। रसीले, खट्टे-मीठे स्वाद से भरपूर यह फल तीन महीने तक स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार भी देता है। बड़ी संख्या में ग्रामीण आसपास के जंगल से काफल लाकर उसे दुकानों में बेचते थे, लेकिन इस वर्ष पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों में लगी आग की भेंट काफल चढ़ गए। कोटद्वार क्षेत्र की बात करें तो यहां गुमखाल, द्वारीखाल क्षेत्र काफल के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी यहां पहुंचकर काफल की खरीदारी करते थे। ग्रामीण मनवर सिंह, संत राम ने बताया कि काफल के लिए नमी चाहिए होती है जो जंगल में लगी आग के कारण पौधों को नहीं मिली पाई। नतीजा काफल का उत्पादन बहुत कम हुआ। गत वर्ष तक मई, जून व जुलाई माह में काफल के पेड़ फल से लदे रहते थे।
बीमारियों का रामबाण इलाज है काफल
काफल का वैज्ञानिक नाम माइरिका एसकुलेंटा है। गर्मी के मौसम में यह फल थकान दूर करने के साथ ही तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके सेवन से स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। काफल में एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व होने के कारण इसे खाने से पेट संबंधित रोगों से भी निजात मिलती है। पेट संबंधी बीमारियों में इसके पेड़ की छाल का चूर्ण काफी लाभकारी होता है।
संदेश : 15 कोटपी 4
गुमखाल के समीप भैरवगढ़ी मार्ग पर जंगल किनारे लगा काफल का पेड़। जागरण