आखिर प्रवेश द्वार को मिली पहचान

गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में करीब ढाई वर्ष पूर्व बनाए गए दो प्रवेश द्वारों को आखिरकार नाम मिल ही गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 10:15 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 10:15 PM (IST)
आखिर प्रवेश द्वार को मिली पहचान
आखिर प्रवेश द्वार को मिली पहचान

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में करीब ढाई वर्ष पूर्व बनाए गए दो प्रवेश द्वारों को आखिरकार नाम मिल ही गया। नगर पालिका कार्यकाल में दोनों प्रवेश द्वारों का जीर्णोद्धार किया गया था। द्वार का निर्माण तो हो गया था, लेकिन दोनों ही प्रवेश द्वारों को उनकी पहचान नहीं मिल पाई थी।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली द्वार व हेमवती नंदन बहुगुणा द्वार, कोटद्वार नगर में प्रवेश से पूर्व मैदानी व पर्वतीय क्षेत्र के यात्रियों को इन दो द्वारों से होकर गुजरना पड़ता है। नगर में प्रवेश के लिए 70 के दशक में बनाए यह दोनों द्वार जर्जर स्थिति में पहुंच गए थे, जिसके चलते वर्ष 2017 में तत्कालीन नगर पालिका प्रशासन ने इन दोनों द्वारों के स्थान पर नए द्वार बनाने का निर्णय लिया। करीब ग्यारह लाख की लागत से कौड़िया पुलिस चेक पोस्ट व गिवईं स्रोत पुल के समीप स्थित दोनों प्रवेश द्वार बनाए गए। दोनों द्वारों को रेत, सीमेंट से बनाने के बजाय धौलपुर के पत्थर से बनाया गया। हालांकि, योजना के अनुसार दोनों द्वारों में ऐसी नक्काशी होनी थी, जिससे यात्रियों को कोटद्वार के साथ ही गढ़वाल की संस्कृति की भी जानकारी मिल सके, लेकिन ऐसा न हो सका।

द्वार निर्माण के दौरान ही नगर निगम का गठन हो गया, जिस कारण महीनों तक दोनों प्रवेश द्वारों का निर्माण कार्य ठप रहा। आमजन ने नाराजगी जताई तो 2018 में दोनों द्वारा प्रवेश द्वारों का निर्माण कार्य पूर्ण कर दिया गया। द्वार तो बन गए, लेकिन उन पर नाम अंकित नहीं हो पाए। क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने इस पर ध्यान दिया और नगर निगम को दोनों ही प्रवेश द्वारों पर नाम अंकित करने के लिए विधायक निधि से धनराशि अवमुक्त कर दी। जिसके बाद नगर निगम ने दोनों ही प्रवेश द्वारों को उनकी पहचान दे दी है।

chat bot
आपका साथी