एक बार फिर घर में ही मास्क बनाने में जुट गई रजनी

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए तात्कालिक उपाय के तौर पर लॉकडाउन हुआ तो देश में फ्रंट लाइन वॉरियर के रूप में पुलिस की भूमिका काफी अहम हो गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 10:14 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:14 PM (IST)
एक बार फिर घर में ही मास्क बनाने में जुट गई रजनी
एक बार फिर घर में ही मास्क बनाने में जुट गई रजनी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार :

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए तात्कालिक उपाय के तौर पर लॉकडाउन हुआ तो देश में फ्रंट लाइन वॉरियर के रूप में पुलिस की भूमिका काफी अहम हो गई। पुलिस को जहां आमजन से लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करवाना था, वहीं कोरोना गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए जरूरतमंदों तक मदद भी पहुंचानी थी। कोटद्वार क्षेत्र में पुलिस ने अपने इस क‌र्त्तव्य का भली-भांति निर्वहन किया। लेकिन, पुलिस टीम में एक ऐसा भी चेहरा है, जो आज भी अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने में जुटा है। अपर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात कांस्टेबल रजनी नौटियाल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में एक बार फिर घर में ही मास्क बनाने में जुट गई हैं।

बीते वर्ष मार्च में लॉकडाउन लगा तो आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। पूरे दिन कमरतोड़ मेहनत कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वालों के समक्ष रोटी का संकट खड़ा हो गया। पुलिस ने खुद की जान जोखिम में डाल ऐसे जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाया। पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए कोरोना की चपेट में न आएं, इसके लिए रजनी ने अन्य महिलाओं की मदद से पुलिस कर्मियों के लिए फेस शील्ड बनानी शुरू कर दी। पुलिस कर्मियों को फेस शील्ड मुहैया कराने के बाद उन्होंने घर पर ही मास्क बनाने का कार्य शुरू कर दिया। ड्यूटी संपन्न होने के बाद वे घर पहुंचती और पुलिस आवास में मौजूद अन्य महिलाओं के साथ मिलकर मास्क बनाने में जुट जाती। रजनी ने बताया कि उन्होंने कोविड काल में ढाई हजार से अधिक मास्क बनाए। पुलिस कर्मियों के लिए खाकी कपड़े से मास्क बनाए गए, जबकि आमजन के लिए सामान्य मास्क तैयार किए गए।

लॉकडाउन के कारण बाजार में तमाम दुकानों में ताले लटके हुए थे। ऐसे में क्षेत्र में जगह-जगह ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को चाय पहुंचाने की जिम्मेदारी भी रजनी ने उठाई। करीब एक माह तक वे पुलिस कर्मियों के लिए प्रतिदिन अस्सी से सौ चाय बनाती। इतना ही नहीं, क्षेत्र में जगह-जगह ड्यूटी के दौरान उन्हें जो भी व्यक्ति उन्हें भूखा मिलता, उसके लिए वे अपने आवास के भोजन का प्रबंध करवाती। रजनी बताती हैं कि आज भी आठ से दस जरूरतमंदों के लिए वे भोजन बनाती हैं व जरूरतमंद उनके आवास से भोजन लेकर जाते हैं।

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