व्यवस्था भरोसे महकमा, कैसे मिले न्याय

जागरण संवाददाता कोटद्वार श्रम मंत्री डा. हरक सिंह रावत की विधानसभा में श्रम विभाग का कार्या

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Aug 2021 06:07 PM (IST) Updated:Tue, 10 Aug 2021 06:07 PM (IST)
व्यवस्था भरोसे महकमा, कैसे मिले न्याय
व्यवस्था भरोसे महकमा, कैसे मिले न्याय

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: श्रम मंत्री डा. हरक सिंह रावत की विधानसभा में श्रम विभाग का कार्यालय व्यवस्था पर संचालित हो रहा है। पिछले एक वर्ष से महकमे में न तो श्रम निरीक्षक की नियमित नियुक्ति हो रही है और न ही सहायक श्रम आयुक्त की। नतीजा, एक ओर औद्योगिक आस्थान क्षेत्रों में श्रमिकों की सुरक्षा भगवान भरोसे है, वहीं दूसरी ओर श्रमिकों से जुड़ी समस्याओं को सुनने वाला भी कोई नहीं है।

मंगलवार सुबह सिडकुल के अधीन जशोधरपुर औद्योगिक आस्थान स्थित एक इकाई में कार्य के दौरान एक श्रमिक की मौत हो गई थी। पुलिस की मानें तो श्रमिक फैक्ट्री में ऊंचाई पर लगी एक क्रेन की मरम्मत कर रहा था। इसी दौरान उसे करंट लगा और वह क्रेन से जमीन पर गिर गया। सिर पर चोट आने के कारण उसकी मौत हो गई। बेस चिकित्सालय में पंचायतनामे की खानापूर्ति कर पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजन के सुपुर्द कर दिया। सरकारी तंत्र के किसी भी अधिकारी ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थलीय निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई। श्रमिक की मौत ने फैक्ट्री में श्रमिकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए, लेकिन श्रम विभाग तो मानों चैन की नींद सो रहा है। मृतक श्रमिक के पास श्रम कार्ड था या नहीं, यह पूछने वाला भी कोई नहीं। दिलचस्प तथ्य यह है कि कोटद्वार विधानसभा में कई धनाढ्य श्रम कार्ड के जरिये सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन, जिन जरूरतमंदों को कार्ड दिया जाना चाहिए था, वे आज भी श्रम कार्ड और विभाग की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से महरूम हैं। हालात यह हैं कि श्रम विभाग के अधिकारियों को यह तक जानकारी नहीं कि औद्योगिक आस्थान क्षेत्र के कितने श्रमिक विभाग में पंजीकृत हैं?

----------

व्यवस्था भरोसे महकमा

कोटद्वार में श्रम विभाग कार्यालय का संचालन पिछले करीब एक वर्ष से हरिद्वार से किया जा रहा है। दरअसल, कोटद्वार में सहायक श्रम आयुक्त व श्रम निरीक्षक के पद पिछले करीब डेढ़ वर्ष से खाली पड़े हैं। हरिद्वार के सहायक श्रम आयुक्त व श्रम निरीक्षक को कोटद्वार कार्यालय का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। विभाग की मानें तो हरिद्वार में कार्य की अधिकता के कारण अधिकारी कभी-कभार कोटद्वार आते हैं। स्पष्ट है कि जब विभाग अधिकारी विहीन होगा तो श्रमिकों को न्याय मिलने की उम्मीदें बेहद कम होना तय है।

--------

यह हैं नियम

नियमानुसार, फैक्ट्री में तैनात प्रत्येक कर्मी का ब्योरा फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से श्रम विभाग को मुहैया कराया जाता है। प्रबंधन श्रमिक का ईएसआइ, पीएफ फंड काटता है व उसका वेतन श्रमिक के खाते में जमा कराता है। कोटद्वार की अधिकतर इकाइयों में बाहरी राज्यों से आए श्रमिकों को ठेकेदार कार्य पर रखता है। नतीजा, इन श्रमिकों का कोई भी ब्योरा फैक्ट्री प्रबंधन के पास नहीं होता। नतीजा, असामयिक दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले श्रमिकों को उनका हक नहीं मिल पाता।

....................

पूर्व में फैक्ट्री क्षेत्र में हुए एक हादसे में श्रमिकों की जान गई थी। इसके बाद श्रम अधिकारियों को फैक्ट्री क्षेत्र में श्रमिकों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने के निर्देश दिए गए थे। जल्द ही सभी फैक्ट्रियों में श्रमिक सुरक्षा की औचक निरीक्षण करवाया जाएगा।

डा. हरक सिंह रावत, श्रम मंत्री, उत्तराखंड

chat bot
आपका साथी