पवित्र माना जाता है गोमूत्र, वातावरण को शुद्ध करता है गाय का गोबर

कोटद्वार क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से गौसेवा में जुटी मानपुर निवासी सुषमा जखमोला को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्णय पर सख्त ऐतराज है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 10:56 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2020 06:13 AM (IST)
पवित्र माना जाता है गोमूत्र, वातावरण को शुद्ध करता है गाय का गोबर
पवित्र माना जाता है गोमूत्र, वातावरण को शुद्ध करता है गाय का गोबर

जागरण संवाददाता, कोटद्वार :

कोटद्वार क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से गौसेवा में जुटी मानपुर निवासी सुषमा जखमोला को केंद्रीय पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्णय पर सख्त ऐतराज है। इसमें गोवंश के मल-मूत्र को वायु व जल प्रदूषण का कारक बताया गया है। उनका कहना है कि देश में कई स्थानों पर पूरा भोजन गोवंश के गोबर से बने उपलों में तैयार होता है और इस भोजन को शुद्ध माना जाता है। ऐसे में गोबर को प्रदूषण का कारक बताया जाना पूरी तरह गलत है।

कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत शिवराजपुर में आकृति गो सेवा सदन में वर्तमान में करीब साढ़े चार सौ गाय मौजूद हैं। सुषमा का कहना है कि गाय के गोबर का उपयोग पूजन में भी किया जाता है। उनका कहना है कि गाय के गोबर व मूत्र को प्रदूषण कहना गलत है। कहा कि उनकी गोशाला में प्रतिदिन लोग गोमूत्र व गोबर लेने आते हैं। कुछ लोग गोमूत्र का छिड़काव घर की शुद्धि के लिए करते हैं। इतना ही नहीं, घर को पवित्र रखने के लिए गोबर को घर में जलाया भी जाता है। कहा कि गाय का गोबर सबसे अच्छी खाद होती है व उनकी गोशाला से काश्तकार प्रतिदिन अपने खेतों में डालने के लिए गोबर लेकर जाते हैं। बताया कि वे जल्द ही गोमूत्र संग्रहण की व्यवस्था करने की तैयारी कर रही हैं। पहाड़ों में गोबर और गोमुत्र का बेहतर प्रबंधन

- पतंजलि योगपीठ ने 70 लाख रुपये की लागत से स्थापित किया गोमूत्र संयत्र प्लांट

- जिले के एक हजार परिवारों की महिलाएं संयत्र के जरिये आजीविका से जुड़ी

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : पहाड़ों में बड़ी गोशालाएं तो नहीं हैं, लेकिन, हर घर में छोटी गोशाला जरूर है। जिन से निकलने वाले गोबर और गोमूत्र के प्रबंधन की खासी व्यवस्थाएं हैं। सीमांत जनपद उत्तरकाशी में तो गोमूत्र आर्थिकी बढ़ाने का जरिया बना है। गोबर का उपयोग जैविक खाद बनाने के काम में लाया जा रहा है तो गोमूत्र एकत्र कर गोमूत्र पशुधन संयत्र को बेचा जा रहा है। गोशाला के कचरे में बहने वाले गोमूत्र को 30 से अधिक गांवों के ग्रामीण बेच रहे हैं।

दरअसल, पतंजली योगपीठ के योगगुरु बाबा रामदेव ने उत्तरकाशी जिले में अक्टूबर 2009 में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित तेखला में 70 लाख रुपये की लागत का गोमूत्र पशुधन संयत्र प्लांट लगाया है। इसमें उन्होंने जिले के एक हजार परिवारों की महिलाओं को शामिल किया है। ये महिलाएं रोजाना अपनी गायों का पांच लीटर गोमूत्र एकत्रित करती हैं तथा सड़क मार्ग तक पहुंचाती है। चार से पांच रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गोमूत्र खरीदा जाता है। जहां से गोमूत्र पशुधन संयत्र की गाड़ी गोमूत्र का कलेक्शन कर प्लांट में लाती है।

प्लांट मैनेजर माधव प्रसाद भट्ट ने कहा कि उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक के बग्यालगांव, किशनपुर, माडो, जसपुर, थलन, साड़ा, मानपुर, बोंगा, बेलूडा, लदाडी, डांग, पोखरी, जोशियाड़ा, खरवां, बडेती और मातली समेत 30 से अधिक गांव के एक हजार से अधिक गाय पालक परिवार इस मुहिम से जुड़े हैं। रिलायंस फाउंडेशन के परियोजना निदेशक कमलेश गुरुरानी ने कहा कि पहाड़ में गोबर सबसे बेहतर जैविक खाद है। यहां अधिकांश काश्तकारों के पास जैविक खाद पिट हैं। जो लगातार बढ़ रहे हैं। यह गोबर का एक बेहतर प्रबंधन है। गाय के गोबर व गोमूत्र से किचन गार्डन में हरियाली

नई टिहरी: गोशाला से निकलने वाले गोबर और गौमूत्र की नई टिहरी में भारी डिमांड है। जिस वजह से पशुपालकों को गोशाला से गोबर और गोमूत्र का निस्तारण करने में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आती और शहर में कृषि-बागवानी में आसानी से इसकी खपत हो जाती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गोशालाओं पर दिए गए निर्देश को लेकर गोशाला संचालकों की प्रतिक्रिया सामने आई है। नई टिहरी एच ब्लॉक स्थित गोशाला गोपाल गौ लोक धाम संवर्धन समिति के अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट ने बताया कि उनकी गोशाला में मौजूदा वक्त में 35 गाय हैं। हर दिन गोशाला से निकलने वाले गोबर को एकत्र किया जाता है और हर दिन स्थानीय लोग उसे अपने प्रयोग के लिए ले जाते हैं। नई टिहरी में किचन गार्डन और बगीचों में डालने के लिए यह प्रयोग किया जाता है। इसी तरह गोमूत्र को भी स्थानीय लोग पूजा और अपने प्रयोग के लिए ले जाते हैं। हम लोग बिना सरकारी सहायता के गो संरक्षण का कार्य करवा रहे हैं। गाय के गोबर और गोमूत्र को वैज्ञानिकों ने भी पवित्र पाया है। उससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है। जिन दूसरे कारणों से नदियां प्रदूषित हो रही है उसके निदान के लिए सरकार को कार्य करना चाहिए।

दिनेश प्रसाद उनियाल, गो संरक्षण समिति, डडूर गोशाला चंबा

chat bot
आपका साथी