पूर्ण लैंगिक समानता कठिन, असंभव नहीं : तिवारी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 'लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण : संव

By JagranEdited By: Publish:Tue, 31 Aug 2021 06:03 PM (IST) Updated:Tue, 31 Aug 2021 06:03 PM (IST)
पूर्ण लैंगिक समानता कठिन, असंभव नहीं : तिवारी
पूर्ण लैंगिक समानता कठिन, असंभव नहीं : तिवारी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 'लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण : संवैधानिक प्राविधान' विषय पर राष्ट्रीय स्तर की वेबिनार आयोजित की गई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संदीप तिवारी ने कहा कि देश में पूर्ण लैंगिक समानता कठिन अवश्य है। लेकिन, असंभव नहीं है।

वेबिनार की अध्यक्षता करते महाविद्यालय की प्राचार्य डा.जानकी पंवार ने कहा कि लैंगिक समानता वर्तमान में गंभीर मुद्दों में से एक है। आज भी महिलाएं अपनी पूर्ण क्षमताओं के अनुरूप समाज में योगदान नहीं दे पा रही हैं। मुख्य वक्ता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संदीप तिवारी ने कहा कि 'कानूनी सेवाएं व सहायता' विषय पर कहा कि भारत में पूर्ण लैंगिक समानता की राह कठिन है, लेकिन असंभव नहीं है। जिस दिन हम महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदल देंगे, समाज में सकारात्मक बदलाव आना शुरू हो जाएगा। संविधान में लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण के अनेक प्रावधान व कानून हैं। जिनके आधार पर समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता को दूर किया जा सकता है, लेकिन यह कार्य अपने घर शुरू करना होगा।

उच्चतम न्यायालय अधिवक्ता अनंत अग्रवाल ने कहा कि महिला अधिकारों को लागू करने के लिए ईमानदार से प्रयास करने चाहिए। कार्यक्रम संयोजक डा.स्वाति नेगी ने कहा कि लैंगिक समानता का उद्देश्य पुरुषों व महिलाओं के बीच सभी सीमाओं व मतभेदों को दूर करना है। लैंगिक समानता राजनीतिक, शैक्षिक, सामाजिक व आर्थिक समानता की गारंटी देती है। एचएनबी गढवाल विश्वविद्यालय के एसआरटी परिसर बादशाहीथौल की विधि विभाग की पूर्व फैकल्टी डा.मीना अग्रवाल ने 'नारी सशक्तिकरण : हिदू महिलाओं का संपत्ति में अधिकार : एक परिपेक्ष्य' विषय पर कहा कि लिगभेद हमें घर से समाप्त करना होगा। उन्होंने हिदू धर्म के अंतर्गत भारतीय महिलाओं को उनकी पारिवारिक संपत्ति को प्राप्त करने संबंधी प्राविधानों पर भी चर्चा की गई। कोटद्वार बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पंत ने लैंगिक समानता के लिए जागरूकता को जरूरी बताया।

कार्यक्रम के सह संयोजक डा.प्रकाशदीप अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक विकास के लिए लैंगिक समानता को बनाए रखना आवश्यक है। वर्तमान में लिगानुपात के क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि देखी जा सकती है। लेकिन, आज भी कई देशों में लड़कियां व महिलाएं हिसा व भेदभाव की शिकार हैं। बीएड विभागाध्यक्ष डा.आरएस चौहान ने कहा कि लैंगिक समानता एक बुनियादी मानव अधिकार है। महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से वंचित रखना दुनिया की आधी आबादी को संपन्न समाज व अर्थव्यवस्था के निर्माण में भागीदारी के अवसर से वंचित रखना है। वेबिनार में डा.अनुराग अग्रवाल, डा.अमित जायसवाल, डा.योगिता, डा.सुशील बहुगुणा, डा.किशोर चौहान, डा.सुषमा थलेड़ी, डा.अर्चना वालिया, डा.तृप्ति, डा.हितेंद्र विश्नोई आदि ने भी विचार रखे।

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