जंगलों को आग से बचाने पर किया गया मंथन

जंगल की आग से सुरक्षा अभियान के तहत सामाजिक मिलन केंद्र देवलगढ़ में आयोजित गोष्ठी में जंगलों को आग से बचाने पर मंथन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 10:08 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 10:08 PM (IST)
जंगलों को आग से बचाने पर किया गया मंथन
जंगलों को आग से बचाने पर किया गया मंथन

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: जंगल की आग से सुरक्षा अभियान के तहत सामाजिक मिलन केंद्र देवलगढ़ में आयोजित गोष्ठी में जंगलों को आग से बचाने पर मंथन किया गया। कहा गया कि इसमें महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।

गोष्ठी के संयोजक और पर्यावरण मित्र बलवंत सिंह बिष्ट ने कहा कि वनों को आग से बचाने में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वन सुरक्षा को लेकर महिलाओं को संकल्पित होने की भी जरूरत है। तभी वनों को आग से बचाने के साथ ही अवैध कटान पर भी रोक लग सकती है।

देवलगढ़ विकास समिति के अध्यक्ष पंडित कुंजिका प्रसाद उनियाल ने कहा कि वनों को आग से बचाने में ग्रामीणों और वन विभाग के कर्मचारियों के बीच बेहतर तालमेल और आपसी समन्वय का होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि जंगल में लगने वाली आग से बेशकीमती लकड़ियों और पर्यावरण का भारी नुकसान होने के साथ ही वन्यजीवों का जीवन भी संकट में आ जाता है। वन दारोगा गिरीश चंद्र गोदियाल, वन आरक्षी नरेश कुमार के कार्यों की सराहना करते हुए कुंजिका प्रसाद उनियाल ने कहा कि पौधारोपण के साथ ही रोपित पौधों की सुरक्षा को लेकर भी ग्रामीणों और वन कर्मियों को जागरूक होना होगा। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उपप्रधान सुमन देवी ने कहा कि जंगल में लगने वाली आग से जहां बहुमूल्य वन संपदा नष्ट हो जाती है वहीं पशुओं के लिए घास चारा लेने को लेकर महिलाओं के सामने एक बड़ा संकट भी खड़ा हो जाता है। सुमन देवी ने कहा कि वनों को आग से बचाने को लेकर वन विभाग को व्यवहारिक कदम भी उठाने होंगे। वन दारोगा गिरीश गोदियाल ने जंगलों की सुरक्षा को लेकर विभाग की ओर से किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। विसंबरी देवी, रोशनी देवी, सुनीता देवी, हेमलता देवी, मनोरमा देवी, पुष्पा देवी, सविता देवी, मोहित प्रसाद, प्रेमलाल, दिनेश पुरी, ताजबर कुमार के साथ ही गोष्ठी में महिलाएं काफी संख्या में शामिल हुईं। वन दारोगा गिरीश चंद्र गोदियाल ने गोष्ठी का संचालन किया।

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