शुद्ध हवा में तितली रानी ने बदला ठौर

घर की बगिया में तितली नजर आई तो बच्चों के साथ ही बड़े-बुजुर्गों के चेहरों पर मुस्कान खिल गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 10:12 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 10:44 PM (IST)
शुद्ध हवा में तितली रानी ने बदला ठौर
शुद्ध हवा में तितली रानी ने बदला ठौर

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: घर की बगिया में तितली नजर आई तो बच्चों के साथ ही बड़े-बुजुर्गों के चेहरों पर मुस्कान खिल गई। जो तितलियां नदी-नालों व जंगलों के आसपास नजर आती थी, वो अब घर के आंगन में दिखाई दे रही थी। कोरोना संक्रमण के चलते करीब चार माह तक वाहनों की आवाजाही कम होने के कारण वातावरण में ध्वनि व वायु प्रदूषण कम हुआ तो तितलियों ने भी अपना ठौर बदल दिया। बस्ती के आसपास तितलियां नजर आई तो उन परिदों के भी दीदार होने लगे, जिनका तितली प्रिय भोजन है।

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जिम कार्बेट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क के मध्य में अवस्थित लैंसडौन वन प्रभाग में जहां बाघों की मौजूदगी के चलते प्रकृति प्रेमियों की आंखों का तारा है, वहीं पक्षी प्रेमियों के लिए यह प्रभाग किसी स्वर्ग से कम नहीं। इस प्रभाग में तितलियों का एक अनूठा संसार भी बसता है। कोरोना संक्रमण के चलते करीब चार माह तक सड़कों में वाहनों की आवाजाही काफी कम रही। नतीजा, हवा में वाहनों के धुएं का जहर भी कम हो गया और जंगलों के आसपास ठौर बनाने वाली तितलियां बस्तियों में नजर आने लगी। आमजन को जहां रंग-बिरंगी तितलियां नजर आई, वहीं उन्हें कई ऐसे पक्षी भी घर के आसपास दिखने लगे, जिन्हें उन्होंने शायद ही कभी देखा हो। पक्षी जानकार राजीव बिष्ट बताते हैं कि तितलियां छोटे पक्षियों का प्रिय भोजन होता है, इस कारण घरों के आसपास ऐसे छोटे पक्षी भी नजर आ रहे हैं, जो अक्सर जंगलों के आसपास ही दिखते हैं।

प्रभाग में मौजूद तितलियों की प्रजातियां

लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार, कोटड़ी, लालढांग, लैंसडौन व दुगड्डा रेंजों में अस्सी से सौ प्रजातियों की तितलियां मौजूद हैं। मौजूद तितलियां लाएसीनिडी, पैपीलियोनॉएडी, पियरिडी, निम्फेलिडी, हैस्परायडी परिवार की हैं। बताना बेहद जरूरी है कि वर्तमान में उत्तराखंड में तितलियों की करीब 400 प्रजातियां मौजूद हैं।

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