बयार बदली तो तितलियों ने भी बदल लिया ठौर

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जिम कार्बेट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क के मध्य में अवस्थित लैंसडौन वन प्रभाग में जहां बाघों की मौजूदगी के चलते प्रकृति प्रेमियों की आंखों का तारा है वहीं पक्षी प्रेमियों के लिए यह प्रभाग किसी स्वर्ग से कम नहीं। इस प्रभाग में तितलियों का एक अनूठा संसार भी बसता है जिसमें ब्लू स्पॉट क्रो ब्लू टाइगर डार्क ब्रांडेड स्विफ्ट सहित कई अन्य दुर्लभ तितलियां मौजूद हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 06:16 AM (IST)
बयार बदली तो तितलियों ने भी बदल लिया ठौर
बयार बदली तो तितलियों ने भी बदल लिया ठौर

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: घर की बगिया में तितली नजर आई तो बच्चों के साथ ही बड़े-बुजुर्गों के चेहरों पर मुस्कान खिल गई। जो तितलियां नदी-नालों व जंगलों के आसपास नजर आती थी, वो अब घर के आंगन में दिखाई दे रही थी। लॉकडाउन के कारण ध्वनि व वायु प्रदूषण कम होने के कारण तितलियों ने अपना ठौर बदला और जंगलों से बाहर निकल घर के आसपास पहुंच गई। तितलियां बढ़ी तो तितलियों को चाव से खाने वाले परिदों की भी क्षेत्र में आमद बढ़ गई।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जिम कार्बेट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क के मध्य में अवस्थित लैंसडौन वन प्रभाग में जहां बाघों की मौजूदगी के चलते प्रकृति प्रेमियों की आंखों का तारा है, वहीं पक्षी प्रेमियों के लिए यह प्रभाग किसी स्वर्ग से कम नहीं। इस प्रभाग में तितलियों का एक अनूठा संसार भी बसता है, जिसमें ब्लू स्पॉट क्रो, ब्लू टाइगर, डार्क ब्रांडेड स्विफ्ट सहित कई अन्य दुर्लभ तितलियां मौजूद हैं। जुलाई 2013 से जनवरी 2014 में मध्य लैंसडौन वन प्रभाग में पहुंची वन सेवा अधिकारी नीतूलक्ष्मी ने प्रभाग में तितलियों की 54 प्रजातियां देखी, जिनमें से कुछ दुर्लभ श्रेणी की थी। उनका कहना था कि प्रभाग में तितलियों की अस्सी से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। पक्षियों की भी आमद बढ़ी

लॉकडाउन के दौरान वाहनों की आवाजाही काफी कम हुई तो हवा में वाहनों के धुएं का जहर भी कम हो गया। नतीजा, जंगलों के आसपास ठौर बनाने वाली तितलियां बस्तियों में नजर आने लगी। जिसके बाद आमजन को भी क्षेत्र में तितलियों के अछूत संसार के बारे में पता चला। आमजन को जहां रंग-बिरंगी तितलियां नजर आई, वहीं उन्हें कई ऐसे पक्षी भी घर के आसपास दिखने लगे, जिन्हें उन्होंने शायद ही कभी देखा हो। पक्षी जानकार राजीव बिष्ट बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण प्रदूषण काफी कम हो गया, जिससे जंगलों में रहने वाले पक्षी बस्ती के आसपास दिखने लगे। बताया कि तितलियां छोटे पक्षियों का प्रिय भोजन होता है, इस कारण घरों के आसपास ऐसे छोटे पक्षी भी नजर आ रहे हैं, जो अक्सर जंगलों के आसपास ही दिखते हैं। प्रभाग में मौजूद तितलियों की प्रजातियां

लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार, कोटड़ी, लालढांग व दुगड्डा रेंजों में अस्सी से सौ प्रजातियों की तितलियां मौजूद हैं। मौजूद तितलियां लाएसीनिडी, पैपीलियोनॉएडी, पियरिडी, निम्फेलिडी, हैस्परायडी परिवार की हैं। बताना बेहद जरूरी है कि वर्तमान में उत्तराखंड में तितलियों की करीब 400 प्रजातियां मौजूद हैं।

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