बेस अस्पताल को मिले 40 अतिआधुनिक वेंटिलेटर

टीचिग अस्पताल बेस श्रीकोट गंगानाली श्रीनगर में वेंटिलेटर की संख्या छह से बढ़कर 46 हो गई है। इनमें से 20 वेंटिलेटर एग्वा तकनीक के और शेष 20 स्कैनरे-सी 200 तकनीक से लैस हैं। सभी वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड से प्रदेश के उच्च शिक्षा और सहकारिता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत डॉ. धन सिंह रावत ने उपलब्ध करवाए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 05:09 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 10:23 PM (IST)
बेस अस्पताल को मिले 40 अतिआधुनिक वेंटिलेटर
बेस अस्पताल को मिले 40 अतिआधुनिक वेंटिलेटर

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध टीचिग अस्पताल बेस श्रीकोट गंगानाली श्रीनगर में वेंटिलेटर की संख्या छह से बढ़कर 46 हो गई है। इनमें से 20 वेंटिलेटर एग्वा तकनीक के और शेष 20 स्कैन रे-सी 200 तकनीक से लैस हैं।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत ने कहा कि अब इमरजेंसी, सर्जिकल वार्ड, निक्कू वार्ड में भी अलग-अलग वेंटिलेटर उपलब्ध हो जाएंगे। एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र सिंह ने 40 नए वेंटिलेटर के उपलब्ध हो जाने को इस सुदूरवर्ती क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज के लिए एक बड़ी उपलब्धि भी बताया है। उन्होंने कहा कि इससे अब गंभीर रोगियों के इलाज में काफी सहायता भी मिलेगी। प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र सिंह ने एनेस्थीसिया विभाग के अपने अन्य सहयोगियों और तकनीकी कर्मियों के साथ मिले इन नए वेंटिलेटरों का निरीक्षण भी किया। प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि जल्द ही संबंधित कंपनी के इंजीनियर यहां आकर इन वेंटिलेटरों को संचालित करके दिखाएंगे। कहा कि एग्वा वेंटिलेटर कम वजन वाले और पोर्टेबल हैं। स्कैन रे वेंटिलेटर को भी वार्ड के बैड से दूसरे वार्ड के बैड तक आसानी से ले जाया जा सकता है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि यह सभी वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड से मिले हैं।

एसआर और टेक्नीशियन की कमी

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग में एक भी सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर तैनात नहीं है। जबकि आठ पद स्वीकृत हैं। टेक्नीशियन के भी आठ पदों में से दो पद पर ही टेक्नीशियन कार्यरत हैं। वेंटिलेटरों की संख्या 46 हो जाने से एसआर और टेक्नीशियन के रिक्त पदों को भरा जाना भी जरूरी हो गया है। जिससे वेंटिलेटरों का संचालन सुचारु रूप से हो सके।

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