दो वर्षों से पेयजल संकट झेल रही है दस गांवों की आबादी

प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के गृह क्षेत्र में आमजन को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में सरकारी सिस्टम नाकाम साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:38 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:41 PM (IST)
दो वर्षों से पेयजल संकट झेल रही है दस गांवों की आबादी
दो वर्षों से पेयजल संकट झेल रही है दस गांवों की आबादी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के गृह क्षेत्र में आमजन को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में सरकारी सिस्टम नाकाम साबित हो रहा है। कांडा पेयजल योजना की बदहाल स्थिति को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री के पैतृक ग्राम खैरा से करीब दस किमी दूर स्थित ग्राम कांडा मल्ला सहित आसपास के दस गांवों की आबादी पिछले दो वर्षों से पेयजल संकट से जूझ रही है। लेकिन, जल संस्थान के अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं।

केंद्र सरकार हर घर नल योजना के तहत देश में प्रत्येक परिवार को पेयजल कनेक्शन देने की बात कह रही है। लेकिन, जनपद पौड़ी में सरकारी महकमे पूर्व में दिए गए पेयजल कनेक्शनों की सुध तक नहीं ले पा रहे, जिससे गांव पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। जयहरीखाल प्रखंड के अंतर्गत कांडा पंपिग पेयजल योजना से लाभांवित कांडा मल्ला, कांडा तल्ला, कांडाखाल, पटखोली, भेगलासी, मंजकोट, धूरगांव, भाट्यूडांग, भिताड़ा तल्ला, भिताड़ा मल्ला गांव के ग्रामीण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। करीब एक हजार से अधिक आबादी के लिए नब्बे के दशक में 98.35 लाख की लागत से बनी इस योजना का निर्माण पेयजल निगम ने किया। निर्माण के बाद कुछ वर्षों तक निगम ने ही योजना का संचालन किया। बाद में यह योजना जल संस्थान की हस्तांतरित कर दी गई।

ग्राम प्रधान सुरेश चंद्र की माने तो जब से योजना जल संस्थान को हस्तांतरित की गई, तब से आज तक योजना सही तरीके से नहीं चली। बताया कि 2016-17 में करीब तीस लाख की लागत से इस योजना के दो पंप हाउसों में दो-दो नई मोटर लगाई गई। साथ ही अन्य मरम्मत कार्य भी किए गए। अगले छह माह तक योजना इसी तरीके से संचालित हुई। उसके बाद से आज तक योजना बदहाल स्थिति में है। कई मर्तबा जल संस्थान को योजना की मरम्मत के लिए कहा जा चुका है। लेकिन, कोई सुनने वाला नहीं।

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योजना की एक मोटर खराब होने के कारण पेयजल किल्लत हो रही है। जल-जीवन मिशन के तहत योजना की मरम्मत की जानी है। मरम्मत का कार्य जल निगम की ओर से किया जाएगा। मरम्मत के लिए जल निगम को योजना दे दी गई है। जैसे ही धनराशि अवमुक्त होगी, योजना की मरम्मत करवा दी जाएगी। एलसी रमोला, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान, कोटद्वार

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